प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जर्मनी के बाद डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगेन पहुंचे और भारतीय मूल के लोगों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि हमारा पहनावा, खान-पान भले ही अलग-अलग हों लेकिन हमारे मूल्य एक जैसे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हमारी भाषा कोई भी हो, हर भारतीय के दिल में वसुधैव कुटुंबकम बसता है।
भाषा और वसुधैव कुटुंबकम का संदेश
मोदी ने कहा कि भाषा और वसुधैव कुटुंबकम का संदेश दुनियाभर के लोगों के साथ भारत में भी लोगों को देना है। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत में पिछले दिनों भाषाई बहस ने जन्म ले लिया था। कुछ सेलेब्स हिंदी और दक्षिण की भाषाओं को लेकर बहस में पड़ गए थे। मोदी ने कहा कि दुनिया को तबाह करने में हिन्दुस्तानियों की कभी कोई भूमिका नहीं है।
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मोदी ने भाषण के दौरान फ्रेडरिक्सन का जताया आभार
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी को सुनने के लिए कोपेनहेगन के सभागार में बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे और मोदी-मोदी के नारे लगाए। मोदी ने भाषण के दौरान डेनमार्क की प्रधानमंत्री फ्रेडरिक्सन का भी आभार जताया।
भारत के निवेश का सुनहरा अवसर
दुनिया को संदेश देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वैश्विक चुनौतियों से निपने के लिए भारत की क्षमता में निवेश करना पूरी दुनिया के हित में है। आज भारत जो कुछ भी हासिल कर रहा है, वो उपलब्धि सिर्फ भारत की नहीं है, बल्कि वो करीब 20 फीसदी मानवता की उपलब्धि है। कल्पना कीजिए कि अगर भारत में हम वैक्सीनेशन को हर परिवार तक नहीं पहुंचा पाते, तो उसका दुनिया पर क्या असर होता? सबसे बड़ी बात ये है कि आज जो भी नया यूजर जुड़ रहा है, वो भारत के गांव से है। इसने भारत के गांव और गरीब को तो सशक्त किया ही है, बहुत बड़े डिजिटल मार्केट का गेट खोल दिया है।
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कोपेनहेगन में मेजबान प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिकसन के साथ भारत-डेनमार्क व्यापार मंच की बैठक को भी संबोधित किया।
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