कैसे बना पीएफआई पर प्रतिबंध का प्लान, इसके पीछे था किसका दिमाग? जानने के लिए पढ़ें ये खबर

अगस्त 2022 के अंत में अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की बैठक हुई। इस बैठक में पूरी कार्रवाई का रोडमैप तैयार किया गया।

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भारत में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। पीएफआई के साथ ही इसके 8 सहयोगी संगठनों पर भी शिकंजा कस दिया गया है।

गृह मंत्रालय ने यह कदम उठाते हुए कहा है कि इन संगठनों के खिलाफ कई प्रमाण मिले हैं। ये देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त थे और आतंकवाद, टेरर फंडिंग के साथ ही लव जिहाद को भी बढ़ावा दे रहे थे। इसके साथ ही इनके तार सीरिया, इराक, अफगानिस्तान देशों और आईएस जैसे खतरनाक संगठनों से जुड़े होने के सबूत मिले हैं।

आखिर इतने बड़े एक्शन की तैयारी कब और कैसे हुई, आइए जानते हैं..

पीएफआई है क्या?
-1992 में बाबरी विध्वंस के बाद मुस्लिम हितों के लिए केरल में मुसलमानों ने 1994 में नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट यानी एनडीएफ की स्थापना की।

-2003 में कोझिकोड में आठ हिंदुओं की हत्या के बाद इसका नाम आईएसआई से जुड़ने लगा। धीरे-धीरे यह संगठन काफी विवादों में आ गया और इसके हिंसक गतिविधियों की चर्चा हर तरफ होने लगी।

नवंबर 2006 में दिल्ली में एक बैठक आयोजित कर एनडीएफ के आलावा दक्षिण भारत के तीन मुस्लिम संगठनों को विलय कर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की स्थापना की।

ऐसे चली प्रतिबंध की तैयारी
पीएफआई पर एक्शन की शुरुआत अगस्त 2022 में केंद्रीय गृह मंत्री के कर्नाटक दौरे से शुरू हुई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यहां कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और प्रदेश के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र की बैठक की। उसके बाद पीएफआई पर शिकंजा कसने की कार्रवाई शुरू हो गई। दिल्ली लौटने के बाद शाह ने अधिकारियों की एक टीम बनाई।

डोभाल के साथ बैठक
अगस्त 2022 के अंत में अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की बैठक हुई। इस बैठक में पूरी कार्रवाई का रोडमैप तैयार किया गया। इसके लिए पीएफआई नेटवर्क की मैपिंग, पीएफआई फंडिंग का पता करने और प्रमाण इकट्ठा करने, पूर्व में हुए दंगों और आतंकी घटनाओं के खिलाफ जांच करने के लिए टीम का गठन किया गया।

प्रधानमंत्री ने दी हरी झंडी
इसके बाद इस पूरे प्लान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ चर्चा की गई। पीएम ने उन्हें हरी झंडी दे दी। इसके बाद डोभाल ने अपना काम शुरू कर दिया। 2 सितंबर को डोभाल प्रधानमंत्री के साथ केरल पहुंचे। प्रधानमंत्री आईएनएस विक्रांत के नौसेना में शामिल होने के कार्यक्रम के बाद दिल्ली लौट आए, लेकिन डोभाल केरल में ही रहे। यहां उन्होंने राजभवन के सुरक्षाकर्मियों के साथ बैठक की। उसके बाद डोभाल ने महाराष्ट्र के टॉप पुलिस अधिकारियों के साथ बात की। इन सब घटनाक्रम के बाद डोभाल ने 15 सितंबर को एनआईए और ईडी के अधिकारियों के साथ बैठक कर उन्हें एक्शन की जानकारी दी।

 प्रतिबंध के लिए तैयार था रोडमैप
-अब पीएफआई पर शिकंजा कसने का पूरा प्लान तैयार था। अब उसे जमीन पर उतारना था।

-21 सितंबर को डोभाल ने सभी अधिकारियों को 22 सितंबर की सुबह से ही एक्शन लेने का आदेश दिया।

-एनआईए और ईडी ने आदेश पर अमल करते हुए 15 राज्यों के 150 से अधिक ठिकनों पर छापेमारी शुरू की।

-यह पीएफआई के खिलाफ सबसे बड़ी कार्रवाई थी। इस कार्रवाई में 106 लोगों को गिरफ्तार किया गया।

-27 सितंबर को पीएफआई ने फिर छापेमारी की और 230 से अधिक पीएफआई के लोगों को गिरफ्तार किया।

– 28 सितंबर को केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय ने पीएफआई के साथ ही उसके आठ सहयोगी संगठनों पर भी प्रतिबंध लगाने की घोषणा कर दी।

इन संगठनों पर प्रतिबंध
1-पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया
2-रिहैब इंडिया फाउंडेशन
3-कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया
4-ऑल इंडिया इमाम काउंसिल
5-नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन
6-नेशनल विमेंस फ्रंट
7-एम्पावर इंडिया फाउंडेशन
8-रिहैब फाउंडेशन( केरल)

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