Pune Porsche Accident Case: पुणे पुलिस (pune police) को 31 मई (शुक्रवार) को किशोर न्याय बोर्ड (Juvenile Justice Board) द्वारा पोर्श कार दुर्घटना में नाबालिग आरोपी की पूछताछ (minor accused interrogation) करने की अनुमति दे दी गई, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि पुलिस को दो घंटे तक किशोर से पूछताछ करने की अनुमति दी गई है।
इससे पहले आज, पुणे की एक स्थानीय अदालत ने पोर्श मामले में शामिल नाबालिग के पिता और दादा को उनके ड्राइवर के कथित अपहरण और गलत तरीके से बंधक बनाने में उनकी भूमिका के लिए 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
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जून तक बाल सुधार गृह में भेजा
अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) शैलेश बलकावड़े ने कहा, “हमने जेजे बोर्ड को पत्र लिखकर नाबालिग की जांच करने की अनुमति मांगी है।” किशोर न्याय बोर्ड ने दुर्घटना के कुछ घंटों बाद बिल्डर विशाल अग्रवाल के बेटे किशोर को जमानत दे दी और उसे सड़क सुरक्षा पर 300 शब्दों का निबंध लिखने को कहा। भारी आलोचना के बीच पुलिस ने फिर से किशोर न्याय बोर्ड से संपर्क किया, जिसने आदेश में संशोधन करते हुए उसे 5 जून तक निगरानी गृह में भेज दिया।
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धमकी देने के आरोप में गिरफ्तार
नाबालिग के पिता और दादा को उनके परिवार के ड्राइवर को गलत तरीके से बंधक बनाने, उसे नकदी और उपहारों का लालच देने और बाद में दुर्घटना का दोष अपने ऊपर लेने की धमकी देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने ससून जनरल अस्पताल के दो डॉक्टरों और एक कर्मचारी को भी गिरफ्तार किया है, जिन पर किशोर के रक्त के नमूनों में हेराफेरी करने का आरोप है, ताकि यह दिखाया जा सके कि दुर्घटना के समय वह नशे में नहीं था।
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