पुरी श्रीक्षेत्र में रथयात्रा के लिए लाखों श्रद्धालु उमड़े। घंटों की प्रतीक्षा के बाद तीन रथों को खींचा गया। सबसे पहले भगवान बलभद्र जी के रथ तालध्वज को खींचा जाना प्रारंभ किए जाने के बाद देवी सुभद्रा का रथ खींचा जाना शुरू हुआ। इसके बाद महाप्रभु श्रीजगन्नाथ जी के रथ नंदिघोष को खींचने की प्रक्रिया प्रारंभ हुई। पुलिस, सेवायत एवं भक्त मिल कर रथों को खींचते दिखे। भक्तों द्वारा हरिबोल, जय जगन्नाथ एवं घंटियों की ध्वनि बडदांड में सुनाई दे रही थी। अन्य गणमान्य व्यक्तियों के बीच राज्यपाल प्रो. गणेशीलाल, मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भी इस अवसर पर सम्मिलित हुए।
पूर्ण विधि-विधान से हो रही रथयात्रा
मंगलवार को सुबह से मंगलार्पण के बाद पहंडी नीति शुरू हुई। धाडी पहंडी में चतुर्धा मूर्ति रथों पर आरूढ़ हुए। सबसे पहले सुदर्शन महाप्रभु सुबह 9 बजे रथ पर आरूढ़ हुए। इसके बाद 10.18 बजे बलभद्र तालध्वज रथ पर, 10.30 पर देवी सुभद्रा दर्पदलन रथ पर रथारूढ हुईं। सबसे अंत में श्रीजगन्नाथ मंदिर के रत्नवेदी से सिंहद्वार पार कर 11.55 बजे नंदिघोष रथ पर विराजमान हुए। 12.05 बजे पर पहंडी नीति संपन्न हुआ। पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने तीनों रथों की परिक्रमा की। पहंडी नीति के दौरान श्रद्धालु एवं कलाकार ओडिशी नृत्य, शिव तांडव एवं हनुमान नृत्य प्रस्तुत कर रहे थे और माहौल आध्यात्मिक हो रहा था। घंटियां बजाये जाने के साथ-साथ चारों ओर जय जगन्नाथ के नारे गूंज रहे थे।
इससे पहले सुबह से मंगल आरती, मइलम, तडपलागी, रोष, होम, अवकाश व सूर्यपूजा की रीति नीति संपन्न हुई। इसके बाद द्वारपाल पूजा किया गया तथा खिचड़ी भोग लगाया गया। सुबह 7.35 बजे ब्राह्मणों ने तीनों रथों की प्रतिष्ठा व पूजा की। मंगलार्पण के बाद पहंडी नीति शुरू हुई।
ज्वर से स्वस्थ होने के बाद भाई बलभद्र, बहन सुभद्रा के साथ रत्नवेदी से जन्म वेदी की ओर 9 दिनों की यात्रा प्रभु श्रीजगन्नाथ कर रहे हैं। लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए पुरी शहर एवं उसके आसपास के इलाकों में 170 प्लाटून पुलिस फोर्स तैनात की गई है। रथयात्रा के दौरान लाखों लोगों के भीड़ में भीषण गर्मी एवं उमस को देखते हुए आशु चिकित्सा शिविर की व्यवस्था भी की गई है, जहां अस्वस्थ हो रहे श्रद्धालुओं को तत्काल चिकित्सा सुविधा मुहैया कराई जा रही है।
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