Rabies Vaccine: कांकेर जिले के विवेकानंद नगर ग्राम पंचायत के ग्राम पीवी चार में महीने भर पहले एक पागल कुत्ते ने दो गायों को काट लिया था। कुत्ते के काटने के बाद गायों में रेबीज का संक्रमण फैल गया, जिससे दो गायों और एक बछिया की मौत हो गई। वहीं रेबीज से संक्रमित होने के बाद न तो गाय को टीका लगाया गया और ना ही इलाज कराया गया। इतना ही नहीं, गाय के मालिक ने संक्रमित गाय का दूध निकाला और अपने ग्राहकों में बांटा भी।
समस्या उस वक्त और बड़ी हो गई, जब संक्रमित गाय के दूध से बने प्रसाद को गांव के पूरे लोगों ने ग्रहण किया। सूचना मिलने पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी गांव पंहुचकर कैंप लगाकर सभी को रेबीज का टीका लगाया जा रहा है। अब तक लगभग 150 से अधिक ग्रामीणों को रेबीस का वैक्सीन लगाया जा चुका है। साथ ही ग्रामीणों से उस सत्यनारायण पूजा में शामिल होने वाले तमाम लोगों काे रेबीज का टीका लगाने कहा जा रहा है।
पागल कुत्ते ने दो गायों को काटा
प्राप्त जानकारी के अनुसार विवेकानंद नगर में पागल कुत्ते ने दो गायों को काटा था। गायों में रेबीज बीमारी फैल गई, फिर भी मालिक दूध निकालता रहा। हद तो तब हो गई, जब उसी गाय के दूध से बना प्रसाद पूरे गांव में बंटवाया गया। सत्यनारायण पूजा के लगभग 90 दिन बाद रेबीज संक्रमित उन दोनों गायों की मौत हो जाती है, तो गायों के मालिक अस्पताल जाकर चोरी-छुपे रेबीस का वैक्सीन लगा लेते हैं। परन्तु जब ये बात धीरे-धीरे पूरे गांव में फैलती है, तो ग्रामीणों द्वारा उन गायों के दूध से बने प्रसाद के खाने से रेबीस के संक्रमण का अंदेशा के चलते स्वस्थ विभाग के अधिकारी को पूरी घटना की सूचना देते हुए गांव में रेबीस वैक्सीनेशन की मांग की जाती है। जिसके बाद स्वस्थ विभाग द्वारा मामले की गंभीरता देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की एक टीम विवेकानंद नगर गांव में वैक्सीनेशन के लिए भेजी गयी है।
सुरक्षा की दृष्टि से वैक्सीनेशन
ग्रामीण चिकित्सा सहायक प्रीति लता दास का कहना है कि रेबीज फैलने के बाद इसका कोई इलाज नहीं है। सुरक्षा की दृष्टि से वैक्सीनेशन किया जा सकता है। सभी को तीन से पांच टीके लगवाना अनिवार्य है। कुत्ते के काटने पर जल्द ही रेबीज का टीका लगवाना पड़ता है। अन्यथा देर होने पर कोई इलाज नहीं है। पहला टीका के बाद दूसरा टीका तीसरे दिन, तीसरा टीका सातवें दिन और चौथा टीका 28 दिन में लगवाना अनिवार्य है।