‘राहुल गांधी का संबोधन उचित नहीं’, क्या है सर्वोच्च न्यायालय के सर्वेक्षण का अर्थ?

सूरत की निचली अदालत ने अधिकतम सजा देकर गलती की: सर्वोच्च न्यायालय

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कांग्रेस (Congress) नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की सजा (Punishment) पर सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने स्थगन दे दिया है। लेकिन, इस प्रकरण की सुनवाई के समय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों ने अपने सर्वेक्षण के आधार पर यह कहा कि, राहुल गांधी के संबोधन को उचित नहीं कहा जा सकता।

क्या है सर्वोच्च न्यायालय का सर्वेक्षण?
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि, अवमानना ​​कार्यवाही में न्यायालय द्वारा याचिकाकर्ता को दी गई चेतावनी के अलावा, अधिकतम दो साल की सजा सुनाते समय कोई अन्य कारण नहीं बताया गया है। इसमें ध्यान दिया जाना चाहिए कि ट्रायल जज द्वारा लगाई गई दो साल की अधिकतम सजा के कारण ही जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(3) के प्रावधान लागू हुए। एक दिन कम सजा होती तो प्रावधान नहीं लगते। धारा 8(3) के व्यापक प्रभाव को ध्यान में रखते हुए न केवल याचिकाकर्ता के अधिकार बल्कि, चुनाव करने वाले मतदाताओं के अधिकार भी प्रभावित होते हैं। इसके अलावा निचले न्यायालयों ने आपराधिक मानहानि के प्रकरण की अधिकतम दो वर्ष की सजा इस प्रकरण में सुनाते हुए उसके कारणों का उल्लेख नहीं किया है।

मोदी के सरनेम पर उठे सवाल!
सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने राहुल गांधी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि सजा पर रोक लगाने के लिए आपको साबित करना होगा कि यह असाधारण मामला है। सिंघवी ने शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी के सरनेम पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनका असली सरनेम मोदी नहीं है। उन्होंने अपना सरनेम मोध से बदलकर मोदी किया था। मानहानि के मामले में यह जरूरी होता है कि जिसने शिकायत की है, मानहानि उसकी हुई हो।

शायद ही ऐसे मामले में सजा हो
सिंघवी ने कहा कि राहुल गांधी ने अपने भाषण में जिन लोगों का नाम लिया था, उनमें से किसी ने भी मुकदमा नहीं किया। गुजरात में 13 करोड़ लोग उस समुदाय से हैं, उनमें से केवल भाजपा के पदाधिकारी ने ही मुकदमा दायर किया। सिंघवी ने कहा कि गवाह ने भी स्वीकार किया है कि उन्हें राहुल गांधी के मोदी उपनाम वाले सभी लोगों को बदनाम करने के इरादे के बारे में पता नहीं है। यह कोई अपहरण, रेप या हत्या का मामला नहीं है, शायद ही ऐसे मामले में दो साल की सजा दी गई हो।

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इस मामले में राहुल गांधी ने सर्वोच्च न्यायालय में जवाबी हलफनामा दाखिल किया था। हलफनामे में राहुल गांधी ने उनकी सजा पर रोक लगाने की मांग की है। राहुल गांधी ने कहा था कि मानहानि की अधिकतम सजा के चलते उनकी संसद सदस्यता चली गई। उन्हें इसके पहले किसी भी केस में सजा नहीं मिली है। हलफनामे में कहा गया है कि माफी न मांगने के चलते उन्हें घमंडी कहना गलत है, जैसा कि शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी कह रहे हैं।

माफी मांगने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता
हलफनामे में कहा गया है उन्हें माफी मांगने के लिए मजबूर करने के लिए जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत आपराधिक प्रक्रिया का उपयोग करना कानून का दुरुपयोग है। हलफनामे में कहा गया है कि किसी भी जन प्रतिनिधि को बिना किसी गलती के माफी मांगने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। ऐसा करना जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत आपराधिक प्रक्रिया के साथ न्यायिक प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग करना है और सुप्रीम कोर्ट को इसे स्वीकार नहीं करना चाहिए।

ट्रायल कोर्ट में शिकायत करने वाले पूर्णेश मोदी ने भी हलफनामा दाखिल कर राहुल गांधी की याचिका का विरोध किया। पूर्णेश मोदी ने कहा कि राहुल गांधी इतने घमंडी हैं कि उन्होंने कहा कि वे माफी नहीं मांगेंगे। पूर्णेश मोदी ने कहा कि राहुल गांधी की सजा पर रोक नहीं लगनी चाहिए, क्योंकि ये रेयरेस्ट ऑफ रेयर की श्रेणी में नहीं आता है।

अदालत ने याचिका खारिज कर दी
इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने 21 जुलाई को मोदी सरनेम वाले लोगों की मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई करते हुए गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने इस मामले में ट्रायल कोर्ट में शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी की ओर से पेश वकील महेश जेठमलानी को भी जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। राहुल गांधी ने गुजरात हाई कोर्ट के आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है। गुजरात हाई कोर्ट ने मोदी सरनेम के मामले में निचली अदालत से दोषी करार देने के आदेश को चुनौती देने वाली राहुल गांधी की याचिका खारिज कर दी थी।

देखें यह वीडियो- धर्म के बारे में बोलने वाले होते कौन हैं राहुल

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