महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के इरशालगढ़ में इरशालवाड़ी में 19 जुलाई की देर रात भूस्खलन हुआ। आधी रात के बाद वहां बचाव कार्य शुरू हुआ। 20 जुलाई को दिनभर चले बचाव अभियान के बाद भी घटनास्थल पर बड़ी मात्रा में कीचड़ और मलबा है। अनुमान है कि 50 से 60 लोग अभी भी मलबे में फंसे हुए हैं। इसके चलते एनडीआरएफ ने दूसरे दिन भी सुबह बचाव कार्य शुरू कर दिया है। स्थानीय अधिकारी का मानना है कि बचाव अभियान 21 जुलाई को पूरे दिन जारी रहेगा।
कहां है इरशालवाड़ी ?
इरशालवाड़ी रायगढ़ जिले में इरशालगढ़ के आधार से कुछ ऊंचाई पर स्थित है। उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने 20 जुलाई को विधानसभा में एक बयान में कहा कि इस वाड़ी में 48 परिवारों के घर हैं। इनमें से 25 से 30 घर भूस्खलन की चपेट में आ गए हैं। इस वाडी तक पहुंचने के लिए कोई पक्की सड़क उपलब्ध नहीं है। इसलिए एनडीआरएफ और प्रशासन के लिए जेसीबी या पोकलेन को मौके पर ले जाना असंभव है। दो घंटे पैदल चलकर ही तलहटी से घटनास्थल तक पहुंचा जा सकता है।
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20 पुट्ठों मिट्टी का एक टीला
इस बीच एनडीआरएफ के कुछ जवानों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, घटना स्थल पर अभी भी 20 फीट पत्थर-मिट्टी का ढेर लगा हुआ है और इसे उठाने का काम कुदाल और फावड़े की मदद से किया जा रहा है। उन्होंने बताया, “ऊपर चढ़ना कठिन है। जेसीबी, पोकलेन ले जाना असंभव है। लगातार बारिश हो रही है। हम जहां काम कर रहे हैं, वहां फिर से पानी जमा हो जता है। इसलिए काम का हर मिनट हमारे लिए महत्वपूर्ण है। ये रेस्क्यू ऑपरेशन कितने समय तक चलेगा, ये तो पता नहीं, क्योंकि ढेर को फावड़े से उठाया जा रहा है। एनडीआरएफ की चार टीमें बचाव अभियान चला रही हैं। वहां 20 फुट तक मलबे का ढेर लगा हुआ है। इसे वहां से हटाना बहुत मुश्किल है।”
बारिश का जोखिम
तमाम मुश्किलों के बीच 21 जुलाई की सुबह-सुबह हुई बारिश से बचाव टीमों को परेशानी हुई। चूंकि इस क्षेत्र में भारी बारिश की भविष्यवाणी की गई है, इसलिए बचाव दल को बचाव कार्य में आगे भी बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।