Rana Kumbha: स्थापत्य युग के स्वर्णकाल के निर्माता, 32 दुर्गों में दी भारत को अमूल्य धरोहर

राणा कुंभा को 35 वर्ष की आयु तक में 32 दुर्गों के निर्माण के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। इन दुर्गों में कुंभलगढ़, अचलगढ़ जहां सशक्त स्थापत्य कला के अप्रतिम उदाहरण हैं, वहीं पहाड़ों पर बने इन दुर्गों में आकर्षित करने वाले देवी-देवताओं के मंदिर भी है। ये भारत की अमूल्य धरोहर हैं।

1224

Rana Kumbha: भारत के राजाओं में महाराणा कुम्भा का बहुत ऊँचा स्थान है। इन्हें राजस्थान (Rajasthan) का श्रेष्ठ शासकों में गिना जाता है। उनसे पूर्व के राजपूत (Rajput) केवल अपनी स्वतंत्रता की रक्षा कर सके थे। किंतु राणा कुम्भा ने मुसलमानों को हराकर राजपूतों के इतिहास को एक नया आयाम दिया। राणा कुम्भा सन 1433 से 1468 तक मेवाड़ (Mewar) के राजा थे। इनका नाम महाराणा कुम्भकर्ण (Maharana Kumbhakarna) था। अपने विरोचित गुणों के काऱण ये राणा कुम्भा के नाम से प्रसिद्ध हुए। राणा कुंभा को 35 वर्ष की आयु तक में 32 दुर्गों के निर्माण के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। इन दुर्गों में कुंभलगढ़, अचलगढ़ जहां सशक्त स्थापत्य कला के अप्रतिम उदाहरण हैं, वहीं पहाड़ों पर बने इन दुर्गों में आकर्षित करने वाले देवी-देवताओं के मंदिर भी है। ये भारत की अमूल्य धरोहर हैं।

कुम्भलगढ़ (Kumbhalgarh)
राजस्थान के राजसमन्द ज़िले में स्थित कुम्भलगढ़ दुर्ग का निर्माण महाराणा कुम्भा ने सन 13 मई 1459 को कराया था। वास्तुशास्त्र के नियमानुसार बने इस दुर्ग में प्रवेश द्वार, प्राचीर, जलाशय, बाहर जाने के लिए संकटकालीन द्वार, महल, मंदिर, आवासीय इमारतें, यज्ञ वेदी, स्तम्भ, छत्रियां आदि बेहद आकर्षक हैं। यूनेस्को की सूची में सम्मिलित इस किले को मेवाड़ की आँख कहा जाता है। इस किले के चारों ओर 36 किमी लंबी दीवार बनी हुई है, जो चीन की दीवार के बाद विश्व कि दूसरी सबसे बडी दीवार है। यह दुर्ग कई घाटियों व पहाड़ियों को मिला कर बनाया गया है जिससे यह प्राकृतिक सुरक्षात्मक आधार पाकर अजय रहा। इस दुर्ग में ऊँचे स्थानों पर महल, मंदिर व आवासीय इमारतें बनायीं गईं। महाराणा प्रताप की जन्म स्थली कुम्भलगढ़ एक तरह से मेवाड़ की संकटकालीन राजधानी रहा है। महाराणा कुम्भा से लेकर महाराणा राज सिंह के समय तक मेवाड़ पर हुए आक्रमणों के समय राजपरिवार इसी दुर्ग में रहा।

विजय स्तम्भ (Tower of Victory)
राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में स्थित विजय स्तम्भ का निर्माण सन् 1440-1448 के मध्य हुआ था। विश्वविख्यात विजय स्तंभ राणा कुम्भा के विजयों का साक्षात हस्ताक्षर है। इसे राणा कुम्भा ने महमूद खिलजी के नेतृत्व वाली मालवा की सेना पर सारंगपुर की लड़ाई में विजय के स्मारक के रूप बनवाया था। यह राजस्थान पुलिस और राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के प्रतीक चिह्न में शामिल है। इसे भारतीय मूर्तिकला का विश्वकोश और हिन्दू देवी देवताओं का अजायबघर कहते हैं।

स्थापत्य युग का स्वर्णकाल
राणा कुम्भा का स्थापत्य युग स्वर्णकाल के नाम से जाना जाता है, क्योंकि कुम्भा ने अपने शासनकाल में अनेक दुर्गों, मन्दिरों एंव विशाल राजप्रसादों का निर्माण कराया। वीर-विनोद के लेखक श्यामलदस के अनुसार कुम्भा ने कुल 32 दुर्गों का निर्माण कराया था जिसमें कुभलगढ़, अलचगढ़, मचान दुर्ग, भौसठ दुर्ग, बसन्तगढ़ आदि मुख्य माने जाते हैं । बंसतपुर को उन्होंने पुनः बसाया और श्री एकलिंग के मंदिर का जीर्णोंद्वार किया।

यह भी पढ़ें – BSF Constable Tradesmen: ऐसे होती है बीएसएफ कांस्टेबल ट्रेड्समैन में भर्ती, यहां जानें सबकुछ

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.