अंडमान (Andaman) के जेल (Jail) में जिस कमरे (Room) में सभी कैदियों (Prisoners) को फांसी (Hanging) दी गई थी, उसके सामने स्वातंत्र्यवीर सावरकर (Swatantra Veer Savarkar) की कोठरी (Cell) थी। रणदीप हुड्डा (Randeep Hooda) ने कहा कि हम अंडमान की उस कोठरी में अंग्रेजों (British) द्वारा किए गए अन्याय (Injustice) को महसूस कर सकते हैं।
जब मैं अंडमान की उस कोठरी में गया जहां स्वातंत्र्यवीर सावरकर को रखा गया था तो मेरी सांसें अटक गई थीं। मैं वहां 5 मिनट भी नहीं रुक सका। अंडमान में जिस कमरे में सभी कैदियों को फांसी दी गई थी उसके सामने स्वातंत्र्यवीर सावरकर की कोठरी थी। अंडमान की उस कोठरी में जाकर हम अंग्रेजों द्वारा किये गये अन्याय को महसूस कर सकते हैं। फिल्म ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ के डायरेक्टर और एक्टर रणदीप हुड्डा ने दुख जताते हुए कहा कि नेहरू सरकार के दौरान अंडमान की सेल्यूलर जेलों को तोड़ने की कोशिश की गई थी। वह सुदर्शन चैनल पर संपादक सुरेश चव्हाणके द्वारा आयोजित एक विशेष साक्षात्कार में बोल रहे थे।
प्रदर्शनी से पहले विरोध प्रदर्शन हुआ
इस मौके पर हुड्डा ने फिल्म बनाने में आई दिक्कतों, इसके प्रदर्शन के विरोध पर भी बात की। इस इंटरव्यू के दौरान बोलते हुए रणदीप हुड्डा ने आगे कहा कि फिल्म 22 मार्च को रिलीज हुई है। उससे पहले 21 मार्च से फिल्म के खिलाफ कैंपेन शुरू किया गया है। विरोधाभासी बातें कही जा रही हैं। जब से मैंने इस फिल्म के लिए काम करना शुरू किया, मुझसे कहा गया कि इस तरह की भूमिका आपके अंदर के कलाकार को बाहर लाएगी। इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ा। इसके विपरीत, जब मैं फिल्म लिख रहा था, तो मुझे लगा कि सावरकर मुझे सुझाव दे रहे थे कि यह लिखो, वह लिखो। यह बहुत अद्भुत अनुभव था।
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