वित्तीय संकट से जूझ रहे लक्ष्मी विलास बैंक में कई तरह की अनमियतताओं का पर्दाफाश हुआ है। इस वजह से डीएसबी बैंक संकट इसका अधिग्रहण करेगा। सरकार ने 17 नवंबर को एक महीने के लिए बैंक को मोराटोरियम पर डाल दिया। इस दौरान बैंक के खाताधारक 25 हजार रुपए से अधिक की रकम नहीं निकाल पाएंगे।
आरबीआई की सलाह पर लिया गया निर्णय
बैंक की बिगड़ती वित्तीय स्थिति के मद्देनजर रिजर्व बैंक की सलाह पर सरकार ने यह निर्णय लिया है। इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने लक्ष्मी विलास बैंक के बोर्ड के भी भंग कर दिया है। केनरा बैंक के पूर्व गैर कार्यकारी चेयरमैने टीएन मनमोहन को 30 दिन के लिए बैंक का एडमिनिस्ट्रेटिव नियुक्त किया गया है। आरबीआई ने लक्ष्मी बैंक के डीसीबी बैंक में विलय की योजना की जानकारी दी है। डीसीबी बैंक इंडिया लिमिटेड ने लक्ष्मी विलास बैंक के कर्चमारियों, जमाकर्ताओं और खाताधारकों को उनके हितों का ख्याल रखने का भरोसा दिलाया है।
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डीएसबी करेगा 2,500 करोड़ रुपए का निवेश
डीएसबी इस विलय को सपोर्ट करने के लिए डीबीआईएल में 2500 करोड़ रुपए का निवेश करेगा। यह रकम डीएसबी के मौजूदा संसाधनों से जुटाई जाएगी। 2020 में संकट में फंसनेवाला लक्ष्मी विलास बैंक दूसरा बैंक है। इससे पहले मार्च में यस बैंक को मोराटोरियम में डाला दिया गया था।
नहीं बचा था कोई विकल्प
आरबीआई ने कहा है कि लक्ष्मी विलास बैंक की ओर से भरोसेमंद पुनरोद्धार योजना नहीं पेश करने की वजह से जमाधारकों के हित में यह फैसला किया गया है। इसमें बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र की स्थिरता के हितों का भी ख्याल रखा गया है। रिजर्व बैंक ने कहा कि इसके आलाव और कोई विकल्प नहीं बचा था।
बैंकिंग नियमन अधिनियम 1949 की धारा 45 के तहत पाबंदी
बैंकिंग नियमन अधिनियम 1949 की धारा 45 के तहत केंद्र सरकार ने निजी क्षेत्र के बैंक पर पाबंदी लगाई है।
आदेश के मुताबिक लक्ष्मीविलास बैंक आरबीआई की अनुमति के बिना बचत या चालू या किसी भी तरह के जमा खाते से किसी जमाकर्ता को 25,000 रुपए से ज्यादा का भुगतान नहीं कर सकता है।
खास बातें
- लक्ष्मी विलास बैंक तमिलनाडु के प्राइवेट सेक्टर का बैंक है।
- 16 दिसंबर तक बैंक से अधिकतम राशि 25,000 रुपए तक ही निकाल पाएंगे।
- बैंक के शेयरधारकों की वार्षिक जनलर मीटिंग में वोट के आधार पर बैंक के एमडी सीईओ समेत 7 निवेशकों को बाहर किया गया।
- बैंक काफी समय से पूंजी संकट से जूझ रहा था। इसके लिए अच्छे निवेशकों की तलाश थी।
- आकडों के मुताबिक जून 2020 तिमाही में बैंक के पास कुल जमा पूंजी 21,161 करोड़ रुपए थी।
94 वर्ष पुराना है बैंक
- लक्ष्मी विलास बैंक का गठन 1926 में देश के 16 राज्यों में किया गया था। इसकी कुल 918 शाखाएं हैं।
- वित्तीय संकट से उबरने के लिए इंडियाबुल्स के साथ विलय की कोशिश की थी। लेकिन आरबीआई ने इसकी अनुमति नहीं दी थी।
- बैंक की एनबीएफसी के साथ भी बातचीत हुई थी लेकिन बात नहीं बनी थी।
- बैंक पिछले 10 तिमाही से घाटे में चल रहा है।
- कर्ज वसूली में नाकाम रहने और बढ़ते एनपीए की वजह से आरबीआई ने सितंबर 2019 में बैंक को पीसीए ढांचे में डाल दिया था।
यस बैंक संकट
आरबीआई ने हाल ही में यस बैंक का जिम्मा अपने हाथ में ले लिया था। बैंक के संसाधन के लिए आरबीआई ने तीन सदस्यीय कमिटी का गठन किया था। यस बैंक में नकदी संकट बढ़ने पर भी आरबीआई के निर्दश पर एसबीआई के पूर्व अधिकारी को संचालन का जिम्मा सौंपा था। आरबीआई ने 27 सितंबर को सीओडी को नियुक्त किया था। इसमें तीन स्वतंत्र निदेशक मीता मखान, शक्ति सिन्हा और सतीश कुमरा कालरा शामिल हैं।
संकट में एक और कोऑपरेटिव बैंक
इस बीच महाराष्ट्र के जालना जिले में मंता अर्बन कोऑपरेटिव बैंक पर पैसों के भुगतान और कर्ज के लेनेदेन को लेकर छह माह के लिए पाबंदी लगा दी गई है। आरबीआई ने जानकारी दी है कि बैंक को इस बारे में निर्देश दिए गए हैं। ये निर्देश 17 नवंबर 2020 को बैंक बंद होने के बाद छह माह तक लागू रहेंगे। इन निर्देशों के अनुसार
खास बातें
- मंता बैंक आरबीआई की अनुमति के बिना कोई लेनदेन नही कर सकेगा
- बैंक पर नई जमा राशि स्वीकार करने पर भी पाबंदी लगा दी गई है
- बैंक भुगतान भी नहीं कर सकेगा और भुगतान करने का कोई समझौता कर सकेगा
पीएमसीबी बैंक घोटाला
सितंबर 2019 में रिजर्व बैंक को पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक( पीएमसीबी) में हो रहे कथित घोटाले का पता चला था।इस घोटाले के सामने आते ही लाखों खाताधारकों की मेहनत की कमाई फंस गई थी। आरबीआई ने 24 सितंबर2019 को पैसे निकालने पर एक सीमा या मोरोटोरियम लगा दी थी।
ऐसे हुआ था घोटाले का खुलासा
एक व्हिसल ब्लअर की मदद से आरबीआई को यह पता चला था कि पीएमसी बैंक मुंबई के एक रियल इस्टेट डेवलपर को करीब 6,500 करोड़ रुपए लेन-देन के लिए नकली बैंक खातों का इस्तेमाल कर रहा है। इससे बचने के लिए आरबीआई ने 24 सिंतबर2019 को पैसे निकालने पर एक सीमा या मोरेटोरियम लगा दी थी। प्रारंभ में प्रत्येक खाताधारक 50,000 रुपए तक निकाल सकता था। बाद में ये सीमा एक लाख रुपए कर दी गई थी।