Rajasthan: बोरवेल में गिरी चेतना का रेस्क्यू सातवें दिन भी जारी, 22 घंटे में खोदी गई 4 फीट गहरी सुरंग

कोटपूतली के किरतपुरा के बड़ियाली की ढाणी में 23 दिसंबर को 700 फीट गहरे बोरवेल में गिरकर 150 फीट पर फंस गई थी। देसी जुगाड़ के जरिए रेस्क्यू टीम उसे केवल 30 फीट ऊपर लाने में सफल हो पाई।

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कोटपूतली (Kotputli) में सात दिनों से चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन (Rescue Operation) में चेतना (Chetna) (3) को अभी तक बाहर नहीं निकाला जा सका है। एनडीआरएफ (NDRF) के जवान 170 फीट गहराई में समानांतर सुरंग खोद रहे हैं, लेकिन नीचे कठोर चट्टानों के कारण खुदाई में लगातार देरी हो रही है। पिछले 22 घंटों में केवल 4 फीट खुदाई हो पाई है, जबकि अभी भी 7 फीट और खुदाई बाकी है।

कोटपूतली के किरतपुरा के बड़ियाली की ढाणी में 23 दिसंबर को 700 फीट गहरे बोरवेल (Borewell) में गिरकर 150 फीट पर फंस गई थी। देसी जुगाड़ के जरिए रेस्क्यू टीम उसे केवल 30 फीट ऊपर लाने में सफल हो पाई। मासूम करीब 137 घंटे से भूखी-प्यासी है और बीते चार दिनों से कोई मूवमेंट नहीं कर रही है। उसकी स्थिति को लेकर अधिकारी अब कुछ भी कहने से बच रहे हैं।

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रेस्क्यू ऑपरेशन में एनडीआरएफ के 6 जवान लगे हुए हैं, जो दो-दो के बैच में नीचे जाकर काम कर रहे हैं। ऑपरेशन की जटिलता के बारे में जिला कलेक्टर कल्पना अग्रवाल ने बताया कि यह राजस्थान का अब तक का सबसे मुश्किल रेस्क्यू ऑपरेशन है।

चेतना के ताऊ शुभराम ने आरोप लगाया कि अधिकारी सवालों का जवाब नहीं दे रहे। उन्होंने कहा कि जब भी कुछ पूछते हैं, तो कहते हैं कि कलेक्टर मैम बताएंगी। लेकिन वह अब तक हमसे मिलने तक नहीं आईं। रेस्क्यू टीम को गहराई में कठोर चट्टानों का सामना करना पड़ रहा है। एसडीएम बृजेश चौधरी ने चेतना के परिजनों को बताया कि सुरंग की खुदाई में चट्टानों के कारण समय अधिक लग रहा है।

मैनुअल खुदाई शुरू
एनडीआरएफ के असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर महावीर सिंह ने कहा कि हम शिफ्ट में लगातार काम कर रहे हैं। हर कोई पूरी ताकत से जुटा है, लेकिन जगह तंग है, जिससे एक बार में केवल एक ही व्यक्ति खुदाई कर सकता है। उन्होंने बताया कि जब तक मिट्टी थी, तब तक काम जल्दी हो रहा था, लेकिन चट्टानों की वजह से 15 फीट खुदाई में मशीन को पूरा दिन लग गया। अब मैनुअल खुदाई हो रही है, जिससे समय लग रहा है।

बचाव कार्य लगातार जारी है
महावीर सिंह ने यह भी बताया कि उपकरणों की कोई कमी नहीं है। जब भी जरूरत होती है, तुरंत डिमांड पूरी की जाती है। लेकिन काम की प्रकृति ऐसी है कि तेजी से काम करना बच्ची की सुरक्षा के लिए जोखिम भरा हो सकता है। टीम ने अब तक 10 फीट में से 4 फीट खुदाई पूरी कर ली है और बचाव कार्य लगातार जारी है। सभी रेस्क्यूअर वेटिंग में तैयार रहते हैं ताकि कोई देरी न हो।

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