उत्तरकाशी (Uttarkashi) के सिल्क्यारा टनल (Silkyara Tunnel) में 41 मजदूर (Workers) 15 दिन से फंसे हुए हैं। रेस्क्यू ऑपरेशन (Rescue Operation) में नई-नई मुश्किलें सामने आ रही हैं। सुरंग में ड्रिलिंग मशीन (Drilling Machine) फंसने के बाद फंसे मजदूरों की जल्द बाहर निकलने की उम्मीदें खत्म हो गई हैं। रेस्क्यू में अभी काफी वक्त लग सकता है। सुरंग में फंसे ऑगर मशीन के हिस्सों को निकालने का काम चल रहा है। इस बीच दो-तीन विकल्पों पर काम भी शुरू कर दिया गया है।
बरमा ड्रिलिंग मशीन जो अब सिखरा सुरंग में काम कर रही है, एक अमेरिकी बरमा मशीन है, जिसे वायु सेना की तीन परिवहन उड़ानों द्वारा दिल्ली से देहरादून तक पहुंचाया गया था। यह मशीन सुरंग में जमा मलबे को 5 मीटर प्रति घंटे की दर से ड्रिल कर सकती है। यानी 10 घंटे में 50 मीटर तक खुदाई कर देगी। हालांकि, सुरंग में इसकी क्षमता भी कमजोर हो रही है और पिछले 15 दिनों में केवल 46.9 मीटर ही ड्रिलिंग हो पाई है।
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कम जगह में ड्रिलिंग में सक्षम है मशीन
यह मशीन उच्च क्षमता वाली अत्यधिक विशिष्ट तकनीक से बनी है जो छोटी जगहों में भी ड्रिलिंग करते समय आसानी से मलबा हटा सकती है। यह चट्टानों और मलबे में छेद करके प्रवेश करता है और इसके घुमावदार ब्लेड इस तरह से डिजाइन किए गए हैं कि वे वहां से मलबे को भी हटा देते हैं।
यह मशीन बड़ी शक्ति के साथ सीधे आगे छेद करती हुई आगे बढ़ती है। इसका ड्रिलिंग उपकरण इतनी तेजी से काम करता है कि यह सामने के हिस्से को आसानी से तोड़ता हुआ आगे बढ़ता रहता है। इसलिए ऊपरी सतह पर इसका बिल्कुल भी प्रभाव नहीं पड़ता और सुरक्षित रहता है।
मजदूर दो हफ्ते से सुरंग के अंदर फंसे
जब देरी की खबर सुरंग में फंसे राजेंद्र के पिता श्रवण तक पहुंची तो वह काफी निराश दिखे। आपको बता दें कि श्रवण के पिता लकवाग्रस्त हैं। आपको बता दें कि राजेंद्र के अलावा गांव के अन्य मजदूर भी दो हफ्ते से सुरंग के अंदर फंसे हुए हैं। जब यह बात दूसरे मजदूर सुखराम की मां को पता चली तो वह गमगीन हो गईं। घटना की सूचना के बाद से अनिल की मां बीमार हैं।
परिजनों में आक्रोश
सुरंग में फंसे अनिल के भाई सुनील ने बताया कि उन्हें हर दिन सुनने के लिए सिर्फ दो घंटे ही मिल रहे हैं। हमें नहीं पता कि इसमें कितना समय लगेगा। हम तो बस उनके आने की दुआ कर रहे हैं।’ घटना के बाद से सुनील घटना स्थल पर मौजूद हैं, जहां रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। सुरंग में फंसे सुखराम की बहन खुशबू ने बताया कि घटना के बाद पूरा गांव सदमे में है। बचाव अभियान की जानकारी के लिए सभी लगातार संपर्क में हैं।
भूस्खलन के बाद इसका एक हिस्सा ढह गया
आपको बता दें कि घटना में बचाव कार्य 12 नवंबर से शुरू हुआ था। यह निर्माणाधीन सुरंग चारधाम मार्ग का एक हिस्सा है। लेकिन, भूस्खलन के बाद इसका एक हिस्सा ढह गया। जिससे वहां मौजूद मजदूर अंदर फंस गए।
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