मैनी लोकसभा चुनाव के बहाने एक बार फिर समाजवादी पार्टी के करीब आ गए शिवपाल सिंह यादव की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। लखनऊ के बहुचर्चित गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में उन पर सीबीाई ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। गृह विभाग ने सिंचाई विभाग से टास्क फोर्स की बैठकों से संबंधित रिकॉर्ड मांगे हैं। इसकी समीक्षा करने के बाद उस समय के सिंचाई मंत्री के साथ ही दो अधिकारियों की भी मुश्किलें बढ़ने की आशंका है।
बता दें कि इस मामले में सीबीआई ने शिवपाल सिंह यादव के खास माने जाने वाले विभाग के एक अभियंता रूप सिंह यादव को गिरफ्तार किया था।
करोड़ों रुपए का है घोटाला
करोड़ों रुपए के इस घोटाले में अब तक विभाग के कई अधिकारियों पर सीबीआई शिकंजा कस चुकी है। अब मामले में शिवपाल यादव की बारी है। सीबीआई उनसे पूछताछ की तैयारी कर रही है। इससे पहले मामले में सीबीआई ने राज्य सरकार के दो तत्कालीन मुख्य सचिव तथा प्रमुख सचिव सिंचाई के साथ ही बाद में मुख्य सचिव रहे एक अन्य अधिकारी के खिलाफ जांच की मांग की गई थी। ये दोनों पूर्व अधिकारी रिवर फ्रंट के निर्माण के लिए गठित टास्क फोर्स का महत्वपूर्ण हिस्सा थे। लेकिन अभी ये अनुमति मिलनी बाकी है। मामले में ताजा अपडेट ये है कि गृह विभाग से टास्क फोर्स की बैठकों में लिए गए निर्णयों और संबंधित रिकॉर्ड मांगे हैं। इसके बाद मंत्री के साथ ही अधिकारियों की भी जांच हो सकेगी।
2015 में किया गया था टास्क फोर्स का गठन
रिवर फ्रंट के लिए 2015 में उस समय के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में टास्क फोर्स का गठन किया गया था। इसमें उस समय के सिंचाई विभाग के प्रमुख सचिव सहित विभाग के प्रमुख अभियंता, विभागाध्यक्ष और मुख्य अभियंता भी शामिल थे। जांच के दौरान पाया गया कि उच्चाधिकारियों के मौखिक निर्देशों पर टेंडर की शर्तें बदल दी गईं। इसके साथ ही बजट को मनमाने ढंग से खर्च किया गया।
इन बिंदुओं पर होगी जांच
-टेंडर की शर्तों में बदलाव के लिए मौखिक या लिखित रूप से कोई आदेश
-अगर आदेश मौखिक है तो बैठकों में लिए गए निर्णयों का विवरण है या नहीं
-मौखिक आदेशों पर क्या-क्या निर्णय लिए गए
-अभियंताओं को अतिरिक्त चार्ज देने में तत्कालीन सिंचाई मंत्री की क्या भूमिका रही
-बिना टेंडर काम देने और शर्तों में बदलाव करने में मंत्री की क्या भूमिका रही
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