हिंदू धर्म (Hinduism) को सभी के कल्याण की कामना करने वाला विश्व धर्म बताते हुए आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत (RSS Chief Dr. Mohan Bhagwat) ने रविवार को कहा कि हिंदू का मतलब दुनिया का सबसे उदार इंसान है जो सब कुछ स्वीकार करता है। इसके साथ ही उन्होंने स्वयंसेवकों (Volunteers) से सामाजिक समरसता (Social Harmony) के जरिए बदलाव लाने का आह्वान किया और कहा कि हमें छुआछूत की भावना को पूरी तरह से मिटाना होगा। डॉ. भागवत राजस्थान (Rajasthan) के अलवर (Alwar) के इंदिरा गांधी खेल मैदान में स्वयंसेवकों के समागम को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा, ‘हमारे राष्ट्र को मजबूत बनाना है। हमने प्रार्थना में ही कहा है कि यह हिंदू राष्ट्र है, क्योंकि इसके लिए हिंदू समाज जिम्मेदार है। अगर इस राष्ट्र का कुछ अच्छा होता है तो हिंदू समाज की ख्याति बढ़ती है। अगर इस राष्ट्र में कुछ गलत होता है तो इसका दोष हिंदू समाज पर आता है, क्योंकि वे इस देश के निर्माता हैं। राष्ट्र को अत्यंत गौरवशाली और शक्तिशाली बनाने का कार्य पुरुषार्थ के साथ करना होगा और हमें सक्षम बनना होगा, जिसके लिए पूरे समाज को सक्षम बनाना होगा।’
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हिंदू होने का मतलब है उदार होना और सभी के प्रति सद्भावना दिखाना, चाहे उनकी धार्मिक मान्यताएं, जाति या आहार संबंधी प्रथाएं कुछ भी हों। यह बात आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को राजस्थान के अलवर में एक कार्यक्रम में कही।
हिंदू सभी का कल्याण चाहता है: मोहन भागवत
मोहन भागवत ने हिंदू धर्म पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जिसे आमतौर पर हिंदू धर्म कहा जाता है, वह मूलतः एक सार्वभौमिक मानव धर्म है। उन्होंने कहा कि हिंदू सभी का कल्याण चाहता है। हिंदू होने का मतलब दुनिया का सबसे उदार व्यक्ति होना है। हिंदू सबको गले लगाता है और सबके प्रति सद्भावना रखता है। हिंदुओं को ये मूल्य उनके महान पूर्वजों से मिले हैं। श्री भागवत के अनुसार हिंदू शिक्षा का उपयोग किसी को अपमानित करने के लिए नहीं, बल्कि ज्ञान बांटने के लिए करते हैं। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि वे धन का उपयोग भोग विलास के लिए नहीं, बल्कि परोपकार के लिए करते हैं। वे अपनी शक्ति का उपयोग कमजोरों की रक्षा के लिए करते हैं।
विरोधियों के दिल में संघ के प्रति सम्मान की भावना
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि जो व्यक्ति इन मूल्यों और संस्कृति के साथ रहता है, उसे हिंदू माना जा सकता है। चाहे वह किसी की भी पूजा करता हो, कोई भी भाषा बोलता हो, उसकी जाति, क्षेत्र या खान-पान कोई भी हो। मोहन भागवत ने आरएसएस के बारे में कहा कि एक समय में संघ को ज्यादा लोग नहीं जानते थे, लेकिन अब इसकी व्यापक मान्यता और सम्मान है। उन्होंने कहा कि ऐसे कई लोग हैं जो दिखावे के लिए संघ का विरोध करते हैं, लेकिन उनके दिल में संघ के प्रति सम्मान की भावना है।
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