उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के अयोध्या (Ayodhya) में बनकर तैयार हुए भव्य राम मंदिर (Ram Mandir) के प्राण प्रतिष्ठा (Pran Pratishtha) का समय अब बेहद करीब आ गया है। इस ऐतिहासिक पल का गवाह बनने के लिए देश-विदेश से बड़ी संख्या में रामभक्त जुटे हुए हैं। देश के हर कोने में रामधुन बज रही है। इस बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) का भी बड़ा बयान सामने आया है। दरअसल, राम मंदिर निर्माण और रामलला के प्राण प्रतिष्ठा से ठीक पहले मोहन भागवत ने जनता को एक बड़ा बयान दिया है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने लोगों से पक्ष और विपक्ष के बीच अनावश्यक विवादों को खत्म करने की अपील की है। समाज में पैदा हुई कड़वाहट भी समाप्त होनी चाहिए। अयोध्या को तनावमुक्त स्थान के रूप में पहचान मिलनी चाहिए।
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राम मंदिर के अभिषेक समारोह से पहले, मोहन भागवत ने समारोह के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला और अयोध्या विवाद पर दशकों से चल रहे संघर्ष को समाप्त करने का आह्वान किया। मूल रूप से मराठी में प्रकाशित एक लेख में, भागवत ने आक्रमणकारियों के खिलाफ भारत के 1,500 साल के संघर्ष पर प्रकाश डाला और समाज को कमजोर और हतोत्साहित करने के लिए विदेशी शक्तियों द्वारा धार्मिक स्थलों के व्यवस्थित विनाश का वर्णन किया।
मंदिर का मुद्दा हिंदुओं के मन में रहा है: मोहन भागवत
मोहन भागवत ने कहा कि राम मंदिर पर हमला भी उसे तोड़ने के लिए किया गया था। उन्होंने कहा कि भारत पर कई हमले हुए हैं, लेकिन इसके शासकों ने कभी भी विदेशी भूमि पर हमला नहीं किया है। मंदिरों पर हमलों के बाद भी भारतीय समाज की आस्था, निष्ठा और मनोबल में कभी कमी नहीं आई। उनका प्रतिरोध संघर्ष जारी रहा। इसलिए मातृभूमि पर कब्जा करने और वहां मंदिर बनाने का लगातार प्रयास किया गया। मंदिर का मुद्दा हिंदुओं के मन में रहा है।
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