Waqf Law: जम्मू-कश्मीर विधानसभा में वक्फ कानून को लेकर हंगामा, 30 मिनट के लिए स्थगित

अधिनियम पर चर्चा न करने के फैसले का विरोध करने पर पीडीपी विधायक वहीद पारा को विधानसभा परिसर से बाहर निकाल दिया गया। नियम 58 में कहा गया है कि अदालत में विचाराधीन किसी भी विधेयक पर चर्चा नहीं की जाएगी।

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जम्मू-कश्मीर विधानसभा (Jammu and Kashmir Assembly) में मंगलवार को उस समय हंगामा मच गया। जब विपक्षी दलों (Opposition Parties) ने हाल ही में संसद (Parliament) द्वारा पारित वक्फ अधिनियम (Waqf Act) पर चर्चा (Discussion) की मांग की। विपक्षी दलों के विरोध के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा को 30 मिनट के लिए स्थगित कर दिया गया। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (People’s Democratic Party) और अवामी इत्तेहाद पार्टी (Awami Ittehad Party) सहित विपक्षी दलों ने वक्फ अधिनियम पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव पेश किया था जिसे बाद में सदन के नियम 58 के तहत अध्यक्ष ने अस्वीकार कर दिया।

अधिनियम पर चर्चा न करने के फैसले का विरोध करने पर पीडीपी विधायक वहीद पारा को विधानसभा परिसर से बाहर निकाल दिया गया। नियम 58 में कहा गया है कि अदालत में विचाराधीन किसी भी विधेयक पर चर्चा नहीं की जाएगी। एआईएमआईएम और कांग्रेस सहित कई संगठनों और राजनीतिक दलों ने वक्फ अधिनियम के कार्यान्वयन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इससे पहले लगभग 20 विधायकों ने वक्फ विधेयक पर चर्चा की मांग करते हुए विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव पेश किया था। विधानसभा के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए पीडीपी के वहीद पारा ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया क्योंकि जम्मू-कश्मीर एक मुस्लिम बहुल राज्य है।

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पारा ने संवाददाताओं से कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जम्मू-कश्मीर मुस्लिम बहुल क्षेत्र है, अगर पूरे भारत में कोई मुस्लिम मुख्यमंत्री है तो वह जम्मू-कश्मीर में है। पूरे देश के 24 करोड़ मुसलमान इसे देख रहे हैं। सभी विधायकों से पीडीपी द्वारा लाए गए प्रस्ताव का समर्थन करने का आग्रह करते हुए उन्होंने कहा कि यहां 60 विधायक हैं अगर उन 60 में से वे उस प्रस्ताव का समर्थन नहीं करते हैं जिसे हमने वक्फ अधिनियम के खिलाफ पेश किया है तो मुझे लगता है कि इतिहास हमेशा के लिए हमारा न्याय करेगा।

मुसलमानों की धार्मिक मान्यताओं और भावनाओं के खिलाफ होने के लिए वक्फ अधिनियम की आलोचना करते हुए पारा ने जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री किरन रिजिजू का लाल कालीन स्वागत करने के लिए निशाना साधा जिन्होंने विधेयक पेश किया था। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा अधिनियम है जो मुसलमानों की भावनाओं और धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ पारित किया गया है। उन्होंने कहा कि हमारे कब्रिस्तानों, मस्जिदों और अन्य जगहों पर दावा किया गया है और उसी समय हमारे मुख्यमंत्री (उमर अब्दुल्ला) ने उसी (केंद्रीय) अल्पसंख्यक मंत्री किरन रिजिजू का स्वागत किया। उनके साथ बैठे जिन्होंने मुसलमानों के खिलाफ विधेयक पेश किया था।

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