Sambhal violence: स्थानीय अदालत ने 27 मार्च (गुरुवार) को शाही जामा मस्जिद (Shahi Jama Masjid) के अध्यक्ष जफर अली (Zafar Ali) की अंतरिम जमानत (Interim Bail) याचिका खारिज कर दी और उनकी नियमित जमानत (Regular Bail) याचिका पर सुनवाई 2 अप्रैल को तय की, अधिकारियों ने बताया। अतिरिक्त जिला न्यायाधीश द्वितीय निर्भय नारायण राय (Nirbhay Narayan Roy) ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर दी, अतिरिक्त जिला सरकारी वकील हरिओम प्रकाश सैनी ने बताया।
सुनवाई के दौरान अली के वकील ने अंतरिम जमानत मांगी, लेकिन अभियोजन पक्ष ने उनके खिलाफ हिंसा भड़काने, भीड़ इकट्ठा करने, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और तथ्यों को गढ़ने सहित गंभीर आरोपों का हवाला देते हुए इसका विरोध किया। सैनी ने बताया कि दलीलों के आधार पर अदालत ने राहत देने से इनकार कर दिया और अगली सुनवाई के लिए 2 अप्रैल की तारीख तय की।
Sambhal, Uttar Pradesh: Hari Om Prakash, Government Lawyer says, “This is the incident of 24 November 2024, the survey team had gone to survey Jama Masjid, in which Zafar Ali was also named, along with six other… They gathered a crowd, incited arson, and caused damage to… pic.twitter.com/inRoD8co4v
— IANS (@ians_india) March 27, 2025
यह भी पढ़ें- Indian fishermen detained: श्रीलंका की जेलों में कैद भारतीय मछुआरों पर क्या बोले विदेश मंत्री, यहां जानें
23 मार्च को गिरफ्तार
अली को 24 नवंबर को हुई हिंसा के सिलसिले में पूछताछ के बाद 23 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। यह हिंसा मुगलकालीन मस्जिद के न्यायालय द्वारा आदेशित सर्वेक्षण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान भड़की थी। उसी दिन चंदौसी की एक अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी और उन्हें दो दिन की न्यायिक हिरासत में मुरादाबाद जेल भेज दिया।
यह भी पढ़ें- RBI Grade B Syllabus: पहले प्रयास में कैसे पास करें परीक्षा, जानें क्या है RBI ग्रेड B सिलेबस?
इन धाराओं में मामला दर्ज
अली पर भारतीय न्याय संहिता की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिसमें 191(2) और 191(3) (दंगा), 190 (अवैध रूप से एकत्र होना), 221 (लोक सेवक के काम में बाधा डालना), 125 (जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालना), 132 (लोक सेवक पर हमला), 196 (शत्रुता को बढ़ावा देना), 230 (मृत्युदंड के लिए झूठे सबूत गढ़ना) और 231 (आजीवन कारावास के लिए झूठे सबूत गढ़ना) शामिल हैं। उन पर सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम के तहत भी आरोप लगाए गए हैं। अली ने आरोपों से इनकार करते हुए दावा किया है कि उन्हें फंसाया गया है। उनके बड़े भाई ताहिर अली ने पुलिस पर आरोप लगाया कि न्यायिक पैनल द्वारा उनकी गवाही दर्ज करने से पहले ही उन्हें “जानबूझकर” जेल में डाल दिया गया।
यह भी पढ़ें- Bihar: महागठबंधन में दरार, सीएम चेहरे पर कांग्रेस नेताओं ने क्या कहा?
जामा मस्जिद का सर्वेक्षण
पिछले साल 24 नवंबर को जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान संभल के कोट गर्वी इलाके में हिंसा भड़क उठी थी। उत्तर प्रदेश सरकार ने हिंसा की जांच के लिए एक पैनल का गठन किया है, जिसमें सर्वेक्षण को लेकर विरोध प्रदर्शन के दौरान चार लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। मुगलकालीन मस्जिद एक याचिका के बाद कानूनी विवाद के केंद्र में आ गई है, जिसमें दावा किया गया है कि यह एक प्राचीन हिंदू मंदिर के स्थल पर बनाई गई थी।
यह वीडियो भी देखें-
Join Our WhatsApp Community