मनी लॉन्ड्रिंग केसः इतने दिन की न्यायिक हिरासत में भेजे गए दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री

सत्येंद्र जैन की पेशी के दौरान ईडी की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि कैश दिल्ली में दिया गया। ये कैश कोलकाता में हवाला के जरिये एंट्री आपरेटर्स तक पहुंची।

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दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार आम आदमी पार्टी नेता और दिल्ली के मंत्री सत्येन्द्र जैन को 13 जून को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। कोर्ट जैन की जमानत याचिका पर 14 जून को सुनवाई करेगा।

जल्द सुनवाई की मांग
13 जून सुनवाई के दौरान जैन की मेडिकल रिपोर्ट पेश की गई। ईडी ने कहा कि जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए उसे समय दिया जाए जिससे जवाब दाखिल किया जा सके। ईडी ने कहा कि 14 जून को वह अपना जवाब दाखिल कर देगी। जैन के वकील एन हरिहरन ने जमानत याचिका पर स्वास्थ्य कारणों की वजह से जल्द सुनवाई की मांग की। हिरासत अवधि खत्म होने के आखिरी दिन ईडी ने जैन को कोर्ट में पेश किया। 9 जून को कोर्ट ने जैन को ईडी की हिरासत में भेजा था। इससे पहले 31 मई को कोर्ट ने जैन को 9 जून तक की ईडी हिरासत में भेजा था। जैन को 30 मई को गिरफ्तार किया गया था।

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 कोलकाता में हवाला के जरिये एंट्री
जैन की पेशी के दौरान ईडी की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि कैश दिल्ली में दिया गया। ये कैश कोलकाता में हवाला के जरिये एंट्री आपरेटर्स तक पहुंची। ये एंट्री आपरेटर्स कंपनियों में शेयर खरीद कर निवेश करते थे। ये फर्जी कंपनियां थीं। इन फर्जी कंपनियों में निवेश कर कालाधन को सफेद बनाया जा रहा था। पैसों से जमीन खरीदी गई। प्रयास नामक एनजीओ के जरिये कृषि भूमि खरीदी गई।

ईडी ने जैन को जांच के लिए बुलाया
कोर्ट ने तुषार मेहता से पूछा था कि क्या आप 2015-17 के लेनदेन की बात कर रहे हैं। तब मेहता ने कहा था- हां। मेहता ने कहा था कि ईडी ने जैन को जांच के लिए बुलाया, लेकिन उन्होंने जांच में सहयोग नहीं किया। मेहता ने कहा था कि हमें ये पता लगाना है कि पैसा किसी और का लगा था कि नहीं, इस पैसे से किसको लाभ हुआ इसका पता लगाना है। उन्होंने कहा था कि ये मामला केवल 4.81 करोड़ रुपये का ही नहीं है।

जांच में सहयोग
वरिष्ठ वकील एन हरिहरन ने कहा था कि सत्येन्द्र जैन जांच में लगातार सहयोग कर रहे हैं। ईडी की दलीलें 2017 में दाखिल चार्जशीट का दोहराव मात्र हैं। उस केस में एक इंच आगे नहीं बढ़ा गया है। 5-6 बार जैन को बुलाया गया और वे जांच में शामिल हुए। सह-आरोपी कुछ भी कह सकता है। उसके लिए आरोपी जिम्मेदार नहीं है। सीबीआई जांच में भी आय के स्रोत का पता नहीं लगाया गया। इस बात का कोई सबूत नहीं है कि आरोपित का पैसा हवाला के जरिये गया। सत्येन्द्र जैन के घर पर दो बार छापा डाला गया। उनका बैंक खाता सीज किया गया। जैन ने मंत्री बनने के बाद सभी कंपनियों से इस्तीफा दे दिया था।

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