Savarkar Liberation Centenary Year: राष्ट्रीय सुरक्षा के पितामह वीर सावरकर

वीर सावरकर जैसे स्वतंत्रता सेनानी विरले ही थे। इतने कष्ट में उन्होंने सेलुलर जेल में अंग्रेजों की यातनाएं झेलीं। 1857के संग्राम के बारे जो हम जान पाए हैं, वीर सावरकर की किताब से ही जान पाए हैं। सावरकर ने मजबूत भारत की कल्पना की थी

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Savarkar Liberation Centenary Year: भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के समय कई ऐसे महान व्यक्ति हुए, जिन्होंने अपने विचारों और देश भक्ति से स्वतंत्रता की नई अलख जगाई । ऐसे ही एक महान विभूति थे विनायक दामोदर सावरकर (Vinayak Damodar Savarkar), जिन्होंने अपने विचार ,साहित्य और लेखन से अंग्रेजी सत्ता (english power) के खिलाफ क्रांति का बिगुल फूंक दिया था। वीर सावरकर के क्रांतिकारी विचारों (revolutionary ideas) से डर कर अंग्रेजी हुकुमत ने उन पर न केवल बेइंतहा जुल्म ढाया बल्कि उन्हे काला पानी (kala pani) भेजते हुए दो जन्मों के आजीवन कारावास की सजा भी सुना दी। लेकिन वीर सावरकर इन सबसे बिना डरे देश की स्वतंत्रता के लिए भारतवासियों को एकजुट करने में लगे रहे। अपनी लेखनी और विचारों से उन्होंने देश को एक सूत्र में पिरोने का महान काम किया । सावरकर हमारे अतीत के वो किरदार हैं,जो वर्तमान को भी तीक्ष्णता से प्रभावित करते हैं।

देश सर्वोपरि
स्वतंत्रता आंदोलन में वीर सावरकर के योगदान पर पुस्तक लिखने वाले पूर्व सूचना आयुक्त उदय माहुरकर कहते हैं,”वीर सावरकर हमारी राष्टीय सुरक्षा के पितामह हैं। जो विपत्तियां 80 सालों में भारत पर आई, उनकी भविष्यवाणियां वीर सावरकर ने 60 से 85 साल पहले कर दी थी। देश का विभाजन 1947 में हुआ था, उन्होंने भविष्यवाणी 1937 में ही कर दी थी। दूसरा उनका जो नेशन फर्स्ट है, वो यूनिक है। देश उनके लिए सबसे पहले है। देश का युवा वीर सावरकर की सोच को अपनाता है, तो भारत को महान बनाने को गति मिलेगी। वीर सावरकर पर इतना प्रहार क्यों है? क्योंकि वे हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा के पितामह हैं। विभाजकारी शक्तियां चाहती हैं कि भारत टूट जाए। ऐसी पार्टियां जो वोट बैंक की राजनीति करती हैं। हिंदुओं को विभाजित करती हैं। उनको डर है कि वीर सावरकर की सोच देश में जन-जन तक फैल गई तो उनकी दुकानें बंद हो जाएंगी। ब्रिटिश हुकूमत जानती थी कि उसे अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए ;बांटो और राज करो ‘की नीति पर चलना होगा । इसलिए देशभक्त सावरकर को कड़ी से कड़ी अमानवीय सजा दी।”-प्रस्तुति: नरेश वत्स

अद्वितीय स्वतंत्रता सेनानी थे सावरकर
स्वातंत्र्यवीर वीर सावरकर एक अनुकरणीय सच्चे राष्ट्रभक्त और अद्वितीय स्वतंत्रता सेनानी थे। उनके स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान और उनकी राष्ट्र की स्वाधीनता के लिए निष्ठा का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि वे स्वतंत्रता संग्राम में दो आजीवन कारावास की सजा पाने वाले एकमात्र क्रांतिकारी थे। एक ओर जहां सावरकर को काला पानी भेज कर कड़ी से कड़ी यातनाएं दी जाती थीं, सरदार भगत सिंह, राजगुरु बिस्मिल को फांसी दे दी गई, वहीं गांधी और नेहरू को जब गिरफ्तार किया जाता था तो उन्हें जेल में चाय अखबार, कलम-किताब दी जाती थी। अब आपको तय करना है कि कौन असली स्वतंत्रता सेनानी था।

वीर सावरकर पर इतना प्रहार क्यों है? क्योंकि वे हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा के पितामह हैं। विभाजकारी शक्तियां चाहती हैं कि भारत टूट जाए। ऐसी पार्टियां जो वोट बैंक की राजनीति करती हैं। हिंदुओं को विभाजित करती हैं। उनको डर है कि वीर सावरकर की सोच देश में जन-जन तक फैल गई तो उनकी दुकानें बंद हो जाएंगी।

सावरकर के सपनों को पूरा कर रही है मोदी सरकारः सुदेश वर्मा- भाजपा प्रवक्ता
सुदेश वर्मा
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुदेश वर्मा वीर सावरकर के भारत की स्वतंत्रता में दिए गए योगदान को याद करते हुए कहते हैं , “वीर सावरकर जैसे स्वतंत्रता सेनानी विरले ही थे। इतने कष्ट में उन्होंने सेलुलर जेल में अंग्रेजों की यातनाएं झेलीं। 1857के संग्राम के बारे जो हम जान पाए हैं, वीर सावरकर की किताब से ही जान पाए हैं। सावरकर ने मजबूत भारत की कल्पना की थी, जिसे कुछ लोग गलत ढंग से प्रस्तुत कर लोगों को गुमराह करने का काम करते हैं। लेकिन अब लोग सावरकर के विचार को समझने लगे हैं। वर्तमान की मोदी सरकार के लिए सावरकर के विचार प्रेरणा के स्रोत हैं। हमारी सरकार उनके सपनों को पूरा कर रही है। हिंदुओं को एकजुट करने की रणनीति के साथ ही हिंदुत्व की प्रखर ज्योति जो प्रज्ज्वलित होती दिख रही है, वे उसी दिशा में कुछ कदम हैं। रत्नागिरी जेल में शिफ्ट होने के बाद सावरकर ने ऐसी किताब लिखी, जिसमें हिंदुत्व शब्द को राजनीतिक पहचान मिली।

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