ज्ञानवापी परिसर के सर्वेक्षण पर रोक, इस्लामिया कमिटी पर झूठा तथ्य प्रस्तुत करने का आरोप

काशी विश्वनाथ मंदिर पर इस्लामी आक्रांताओं के हमले के बाद मस्जिद का निर्माण किया गया था। इस प्रकरण की सुनवाई वर्षों से न्यायालयों में लंबित है।

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ज्ञानवापी मस्जिद

ज्ञानवापी मंदिर परिसर के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा सर्वे कराए जाने के आदेश पर रोक लग ई है। सर्वोच्च न्यायालय ने श्री काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर के अंतर्गत आनेवाले ज्ञानवापी के सर्वे पर रोक लगाते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय को प्रकरण को पुन: सुनने का आदेश दिया है। हिंदू पक्षकार विष्णू शंकर जैन ने इसकी जानकारी ने दी, उन्होंने आरोप लगाया है कि, मस्जिद इस्लामिया कमिटी ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष झूठी दावा किया है कि, सर्वेक्षण स्थल पर खुदाई की गई है।

 ज्ञानवापी परिसर के सर्वेक्षण को लेकर जिला न्यायाधीश डॉ.अजय कृष्ण विश्वेशर ने अनुमति देते हुए आदेश दिया था। इसमें ज्ञानवापी परिसर के सील वजूखाने को छोड़कर सभी क्षेत्र के सर्वेक्षण की अनुमति थी। परंतु, अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमिटी ने इस पर आक्षेप लेते हुए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका कर दी। जिसकी सुनवाई में सर्वोच्च न्यायालय ने 26 जुलाई की शाम तक सर्वेक्षण पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही इलाहाबाद उच्च न्यायालय को इस प्रकरण को पुन: सुनने का आदेश दिया है।

जिला न्यायाधीश ने दिया था आदेश
जिला न्यायाधीस डॉ.अजय कृष्ण विश्वेश ने 21 जुलाई को आदेश दिया था कि ज्ञानवापी परिसर स्थित सील वजूखाने को छोड़कर बाकी हिस्से की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) वैज्ञानिक जांच करे। साथ ही रिपोर्ट बनाकर चार अगस्त तक दे और बताए कि क्या मंदिर तोड़कर उसके ऊपर मस्जिद बनाई गई है?

सर्वे में मिली थी ऐसे जांच की अनुमति
जिला अदालत ने ज्ञानवापी परिसर में जो भी निर्माण व साक्ष्य हैं, उनकी जांच की जरूरत बताते हुए वहां खंभों, पश्चिमी दीवार, चबूतरा, तहखाना, गुंबद समेत सभी जगहों की जीपीआर (ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार) या अन्य वैज्ञानिक विधि से जांच, सर्वेक्षण या उत्खनन के जरिए साक्ष्य संकलन का आदेश है। सर्वे के दौरान साक्ष्यों को किसी तरह का नुकसान न हो, इसका विशेष ध्यान रखने को कहा है। पुरातात्विक सर्वे धार्मिक ढांचा किसी अन्य धार्मिक निर्माण की सच्चाई सामने लाएगा। दीवारों की कलाकृति सिद्ध करेगी कि वर्तमान ढांचा पुराने मंदिर पर तो नहीं बना। निर्माण के दौरान पुरावशेष में क्या बदलाव किया गया है? यदि ऐसा है तो उसकी निश्चित अवधि, आकार, वास्तुशिल्पीय डिजाइन और बनावट विवादित स्थल पर वर्तमान में किस रूप में है?

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