हजारों करोड़ के टोरेस कंपनी घोटाला (Torres Company Scam) मामले में आर्थिक अपराध शाखा (Economic Offences Wing) ने गुरुवार (9 जनवरी) को गिरफ्तार (Arrested) तीन आरोपियों (Accused) के आवासों (Residences) और टोरेस कंपनी के मुंबई कार्यालय समेत कुल छह स्थानों पर तलाशी अभियान (Search Operation) चलाया। इस तलाशी अभियान के दौरान आर्थिक अपराध शाखा ने करोड़ों रुपए नकद और कुछ महत्वपूर्ण साक्ष्य जब्त किए हैं। आर्थिक अपराध शाखा ने कहा है कि टोरेस कंपनी के कार्यालय और आरोपी के आवास से मिली करोड़ों रुपये की रकम का खुलासा नहीं किया गया है, लेकिन गिनती जारी है।
टोरेस कंपनी द्वारा करीब डेढ़ लाख निवेशकों से 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी करने के आरोप में सोमवार को शिवाजी पार्क थाने में मामला दर्ज किया गया। इस मामले में तीन लोगों, टोरेस कंपनी के निदेशक सर्वेश सुर्वे, स्टोर मैनेजर तानिया और मैनेजर वेलेंटीना को गिरफ्तार किया गया है। इस अपराध के दायरे को देखते हुए इसकी जांच मुंबई आर्थिक अपराध शाखा को सौंप दी गई है।
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महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त
आर्थिक अपराध शाखा ने इस अपराध की जांच के लिए एक विशेष जांच दल का गठन किया है। गुरुवार को टीम ने गिरफ्तार आरोपियों के कोलाबा, डोंगरी और डोंबिवली स्थित आवासों के साथ ही लोअर परेल स्थित टोरेस कंपनी के कार्यालय में तलाशी अभियान चलाया। दादर स्थित इसके मुख्यालय और ओपेरा हाउस स्थित इसके कार्यालय पर छापेमारी की गई और करोड़ों रुपये की नकदी तथा महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए गए।
शिवाजी पार्क पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज
इस अपराध का दायरा बहुत बड़ा है और यह हजारों करोड़ का घोटाला है। निवेशक बड़ी संख्या में मुंबई की आर्थिक अपराध शाखा और शिवाजी पार्क पुलिस स्टेशन में अपनी शिकायत दर्ज कराने आ रहे हैं। शिवाजी पार्क में एक विशेष सेल स्थापित की गई है टोरेस कंपनी में निवेश करने वाले शिकायतकर्ताओं और निवेशकों ने शिवाजी पार्क पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस उपायुक्त निशानदार ने लोगों से अपनी शिकायत दर्ज कराने की अपील की है।
आरोपियों के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी
अधिकारी ने बताया कि आर्थिक अपराध शाखा द्वारा जब्त की गई नकदी करोड़ों में है और सही रकम गिनती के बाद पता चलेगी। पुलिस ने बताया कि इस अपराध में फरार आरोपियों के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया गया है। इस अपराध में शामिल दो आरोपी, जो फिलहाल पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं, ने चौंकाने वाला खुलासा किया है कि उन्होंने इस घोटाले की शुरुआती जानकारी कुछ महीने पहले ही मुंबई पुलिस और आयकर विभाग को दे दी थी, लेकिन शिवाजी पार्क पुलिस और आयकर विभाग ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। आयकर विभाग की आर्थिक अपराध शाखा और नवी मुंबई पुलिस ने कुछ महीने पहले उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया था।
निवेशक सवाल उठा रहे हैं कि अगर पुलिस और सरकारी एजेंसियों को कुछ महीने पहले ही इस घोटाले का पता चल जाता और पुलिस या आयकर विभाग मामले की जांच करता तो क्या इतना बड़ा घोटाला रोका जा सकता था।
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