जानिए Section 144 के तहत किस तरह की होती है स्वतंत्रता के अधिकारों में कटौती

सीआरपीसी की धारा 144 शासन-प्रशासन को कुछ मामलों में व्यक्ति की गतिविधियों की स्वतंत्रता में कुछ हद तक कटौती करने का अधिकार देती है।

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Section 144: भारत के संविधान (constitution of india) ने हर भारतीय को स्वतंत्रता का अधिकार (right to freedom) दे रखा है। स्वतंत्रता को भारतीय संविधान में मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) की श्रेणी में स्थान दिया हुआ है। मौलिक अधिकार का तात्पर्य होता है कि इसे किसी भी राज्य या व्यक्ति द्वारा प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता। इस अधिकार के अतिक्रमण पर कानूनी रूप से न्याय पाने प्रावधान हर भारतीय के लिए उपलब्ध है। लेकिन सीआरपीसी की धारा 144 (Section 144 of CrPC) शासन-प्रशासन को कुछ मामलों में व्यक्ति की गतिविधियों की स्वतंत्रता में कुछ हद तक कटौती करने का अधिकार (Cut-down Right To Freedom) देती है। धारा 144 के तहत सार्वजनिक समारोहों और जुलूसों पर रोक लगाने का प्रावधान है। धारा 144 संभावित किसी खतरे की आशंका के तहत ही लगाई जाती है। संभावित खतरों को रोकने के लिए एहतियात के तौर पर लगाया गयी 144 धारा में मजिस्ट्रेट का आदेश भारत के संविधान के तहत मिले स्वतंत्रता के कुछ अधिकारों को नियंत्रित करता है।

धारा 144 का प्रावधान
जानबूझकर शांति भंग करने के इरादे से गैरकानूनी तरीके से एकत्र होने वाले लोगों के समूह को कानून की भाषा में एक शब्द दिया गया। यदि कोई समूह के बारे किसी गड़बड़ी की आशंका की पूर्व सूचना मिलती है, तो इसे रोकने के लिए एक अधिनियम है। अगर गड़बड़ी शुरू हो जाती है, तो इसे दंगा कहा जाता है। हमारे भारत में इन संभावित खतरों से निपटने के लिए धारा 144 का प्रावधान किया गया है।

धारा 144 में मजिस्ट्रेट के अधिकार
भारत में धारा 144 को एक तरह के अपराध की श्रेणी में माना गया है। 1973 की आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 कार्यकारी मजिस्ट्रेट को एक क्षेत्र में चार से अधिक व्यक्तियों की एक सभा को प्रतिबंधित करने का अधिकार देती है। ताकि प्रशासन संभावित खतरों के माहौल को समय रहते नियंत्रित कर सके। दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के तहत बिना किसी पूर्व सूचना एवं अनुमति के धरना प्रदर्शन, रैलियां, सभाओं के आयोजन संबंधी सभी कार्यों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा होता है। किसी भी सामूहिक उद्देश्य के लिए डीजे लॉउडस्पीकर जैसे ध्वनी विस्तारण यंत्र के उपयोग पर पाबंदी लगाई गई होती है । इस कानून के तहत राज्य सरकार, स्वप्रेरणा से या किसी व्यथित व्यक्ति के आवेदन पर, उप-धारा (4) के प्रावधानों के तहत अपने द्वारा दिए गए किसी भी आदेश को रद्द या बदल सकती है।

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