अब सोशल मीडिया की खैर नहीं, मुख्य न्यायाधीश ने दी ऐसी सलाह

175

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) न्यायमूर्ति एनवी रमन्ना ने शनिवार को दो सब डिवीजन कोर्ट का उद्घाटन किया। सब डिवीजन का उद्घाटन गढ़वा के नगर उंटारी, सरायकेला-खरसावां जिला उप-मंडल न्यायालय के चांडिल में किया गया। उप-मंडल न्यायालय का उद्घाटन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम सभागार धुर्वा स्थित न्यायिक अकादमी परिसर में ऑनलाइन मोड में किया।

गलत तरीके से प्रस्तुत करते हैं छवि 
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सोशल मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जीरो एकाउंटेबिलिटी के तहत काम कर रहे हैं। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और सोशल मीडिया अदालतों के आदेश को तोड़-मरोड़कर देश की न्यायपालिका की छवि गलत तरीके से पेश करते हैं। इससे देशभर के न्यायाधीशों के आदेश पर कई सवाल खड़े होने लगते हैं। ज्यूडिशियरी की लिबर्टी को अनावश्यक रूप से उछालने का काम सोशल मीडिया बंद करें।

उन्होंने कहा कि मीडिया खास कर सोशल मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया संयम रखें। सोशल मीडिया को न्यायिक स्वतंत्रता पर भी ध्यान देना होगा। हम लोग एक गाइडिंग फैक्टर के रूप में कोई मामलों को नहीं सुलझा सकते। मीडिया ऐसे मामलों को भी उछालती है। यह हानिकारक (डेट्रीमेंटल) होता है। हमलोगों को समाज में लोकतंत्र की भावनाओं को देखते हुए काम करना पड़ता है।

न्याय के लिए हमें भटकना पड़ रहा
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि, हमलोग एक क्राइसिस सोसाइटी में रह रहे हैं। न्याय के लिए हमें भटकना पड़ रहा है। न्यायिक अधिकारियों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। रोल ऑफ जज भी बड़ी बात है। रोल ऑफ जज की भूमिका काफी बदल रही है। समाज से न्यायपालिका को काफी उम्मीदें हैं। सुलभ न्याय, सबकी बराबरी, प्रैक्टिस ऑफ लॉ के तहत सबकी भागीदारी सुनिश्चित करना जरूरी है। सामाजिक आर्थिक कंडीशन पर सब कुछ निर्भर है। एक सपोर्ट सिस्टम जरूरी है। पिछड़े इलाकों में न्याय जरूरी है।

कठिन हो गई है न्यायाधीश की चयन प्रक्रिया 
सीजेआई ने कहा कि 70 दशक में न्यायाधीशों की नियुक्ति में काफी बदलाव हुआ है। हमारी पिछली भूमिका भी बिल्कुल अलग है। समाज और न्यायपालिका में काफी बदलाव हो रहे हैं। सेक्शन ऑफ सोसाइटी में जज का चयन करना काफी कठिन हो रहा है। पर्सेप्शन अलग बन गया है। सक्सेजफुल लीगल कैरियर की जरूरत है। इसके लिए हमें आगे बढ़ना है। एक जज को हमेशा दूसरे की भावनाओं की कद्र करनी चाहिए।

सामाजिक दायित्वों से नहीं भाग सकते
भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हमलोगों पर यह आरोप लगता है कि काफी मामले न्यायालय में लंबित हैं। हमें आधारभूत संरचना विकसित करनी होगी, ताकि जज फूल पोटेंशियल में काम कर सकते हैं। सामाजिक दायित्वों से जज भाग नहीं सकते हैं। ज्यूडिशियरी को भविष्य की चुनौतियों के लिए लंबी अवधि की योजना बनाना होगा। जज और ज्यूडिशियरी को एक यूनिफार्म सिस्टम विकसित करना होगा।

उन्होंने कहा कि इसमें नौकरशाही को भी आगे आना होगा। मल्टी डिसिप्लीनरी एक्शन मोड में काम करना होगा। न्यायपालिका के भरोसे यह अकेले संभव नहीं है। प्रिंट मीडिया के पास डिग्री ऑफ एकाउंटेबिलिटी है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पास जीरो एकाउंटेबिलिटी है। मीडिया के एकाउंटेबिलिटी पर कोई रेग्यूलेशन नहीं है। मीडिया पर सरकार ही रोक लगाती है।

यह भी पढ़ें – नौसेना में बड़ी संख्या में महिलाएं बनना चाहती हैं, अग्निवीर! जानिये, कितनों ने किया आवेदन

इस मौके पर झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन, न्यायमूर्ति अप्रेश कुमार, न्यायमूर्ति एस चंद्रशेखर न्यायमूर्ति एस एन प्रसाद, रोंगन मुखोपाध्याय सिंह, न्यायमूर्ति एस बी सिन्हा की पत्नी, न्यायमूर्ति एस.बी. सिन्हा इंद्रजीत सिन्हा सहित एनयूएसआरएल के छात्र और सीएमडी पीएम प्रसाद, सीसीएल के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.