हिंद महासागर क्षेत्र में तैनात हुआ ‘गेम चेंजर’, भारत की ओर बुरी नजर होगी नष्ट

हिंद महासागर क्षेत्र में संभावित खतरे का पता लगाकर उस पर त्वरित कार्रवाई के लिए विशेष तैनाती की गई है।

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हिंद महासागर क्षेत्र में किसी भी तरह के खतरे का पता लगाकर खात्मा करने के लिए अमेरिकी ‘गेम चेंजर’ विमान पी-8आई विमानों को तैनात किया गया है। 29 मार्च से भारतीय नौसेना की गोवा स्थित आईएनएएस हंसा में लंबी दूरी के समुद्री टोही विमान पी-8आई की दूसरी स्क्वाड्रन शुरू कर दी गई है। अब यहां से चार पी-8आई विमानों के दूसरे बैच का संचालन किया जाएगा। नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार की उपस्थिति में कमीशन की गई इस स्क्वाड्रन को ‘द कॉन्डोर्स’ नाम दिया गया है।

इसे एक समारोह का रूप दिया गया था, जिसे एडमिरल आर हरि कुमार ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भारत हिंद महासागर क्षेत्र में ‘पसंदीदा सुरक्षा भागीदार’ है जो इस क्षेत्र में प्रभावी रणनीतिक भूमिका निभाने की हमारी क्षमता को दर्शाता है। स्क्वाड्रन की परिचालन क्षमताएं भारत के समुद्री हितों की रक्षा, संरक्षण और बढ़ावा देने की हमारी क्षमता में वृद्धि करेंगी। भारतीय नौसेना भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए अपनी युद्धक भूमिका को नया रूप देना और बढ़ाना जारी रखेगी। आईएनएएस 316 की कमीशनिंग निश्चित रूप से समुद्री संचालन के तीन डोमेन – सतह, समुद्र, वायु में हमारी परिचालन क्षमताओं को बढ़ाएगी।

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समुद्री सुरक्षा और निगरानी बढ़ाना
आईएनएएस 316 को चालू करना हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा और निगरानी बढ़ाने की दिशा में एक और मील का पत्थर है। आईएनएएस 316 की कमान व्यापक परिचालन अनुभव के साथ एक कुशल बोइंग पी-8आई पायलट कमांडर अमित महापात्रा के पास है। उन्होंने आईएल-38 और डोर्नियर 228 जैसे समुद्री विमानों को भी उड़ाया है। उन्होंने आईएनएस बारातंग की कमान भी संभाली है और साथ ही आईएनएस तरकश के कार्यकारी अधिकारी के रूप में भी काम किया है।

021 से ऑपरेशन शुरू
गोवा के नेवल बेस आईएनएस हंसा से वैसे तो दो विमानों ने 30 दिसंबर, 2021 से ऑपरेशन शुरू कर दिया था लेकिन अब पी-8आई विमानों की दूसरी स्क्वाड्रन आईएनएएस 316 को आज औपचारिक रूप से शामिल किया गया है। अब यहां से 04 पी-8आई विमानों का संचालन किया जाएगा ताकि हिंद महासागर क्षेत्र में किसी भी खतरे का पता लगाकर उसका खात्मा किया जा सके। इस स्क्वाड्रन को ‘द कॉन्डोर्स’ नाम दिया गया है। स्क्वाड्रन के प्रतीक चिह्न में एक कोंडोर को समुद्र के नीले विस्तार की खोज करते हुए दर्शाया गया है।

विमानों का सौदा किया 2.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर
भारत ने वर्ष 2012 में अमेरिका से 12 पी-8आई समुद्री निगरानी और पनडुब्बी रोधी विमानों का सौदा 2.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर में किया था। इनमें से 8 टोही विमानों की आपूर्ति 2013 में की गई थी। भारत में पहला विमान 15 मई 2013 को आया था। भारतीय नौसेना में शामिल होने के बाद से पी-8आई अब तक 35 हजार घंटों की उड़ान को पूरी कर चुके हैं। पहली खेप में मिले आठ पी-8आई विमानों की पहली स्क्वाड्रन तमिलनाडु के अरक्कोनम में बनाई गई है।

मुद्री निगरानी और खोज एवं बचाव अभियान
भारतीय रक्षा मंत्रालय के साथ 2016 में हुए अनुबंध के तहत नौसेना ने 2019 में पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए लंबी दूरी के चार और समुद्री गश्ती विमानों का ऑर्डर बोइंग कंपनी को दिया। अमेरिकी कंपनी बोइंग से आखिरी 12वां पी-8आई समुद्री गश्ती विमान इसी साल 23 फरवरी को नौसेना को मिला है। अब नौसेना के पास हंटर नाम से प्रसिद्ध 12 अमेरिकी पी-8आई एयरक्राफ्ट हो गए हैं। समुद्री निगरानी और खोज एवं बचाव अभियान के लिए अमेरिकी गश्ती विमान मिलने से भारतीय नौसेना के बेड़े की ताकत बढ़ी है।

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