आपराधिक कानूनों के संदर्भ में अगस्त 2023 में संसद (Parliament) में पेश किए गये भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, और भारतीय साक्ष्य विधेयक पर गृह मामलों की स्थायी संसदीय समिति (Standing Parliamentary Committee) ने विशेषज्ञों (experts) के विचार आमंत्रित किए हैं। विशेषज्ञ ये विचार 11,12 और 13 सितंबर को सुनेंगे
संवैधानिक अधिकारों की प्राथमिकता
गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने संसद में कहा था कि तीनों कानूनों का मूल मंतव्य संविधान प्रदत अधिकारों (constitutional rights) की रक्षा करना होगा, ना कि ब्रिटिश काल के कानूनों जैसे न्याय देने के बजाय दण्ड देने का । नये कानूनों में आवश्यक मामलों में ही सजा के प्रावधान होंगे, वर्ना पूरा फोकस अपराधों को रोकने के सृजन पर रहेगा। तीनों कानूनों की प्राथमिकता न्याय देने पर रहेगी।
पुरानी धाराओं में परिवर्तन
गौरतलब हो कि अगस्त माह के दौरान संसद में प्रस्तुत तीनों विधेयक भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) 1860, आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), 1973 व भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 का स्थान लेंगे। गृहमंत्री ने बताया था कि भारतीय न्याय संहिता विधेयक में 356 धाराएं और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक में 533 धाराएं होंगी। जबकि भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 170 खंड होंगे। शाह ने बताया था कि सभी विधेयकों में आवश्यकतानुसार संशोधन, संवर्धन और निरस्तीकरण किया गया।
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