सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बढ़ते वायु प्रदूषण (Air Pollution) पर सुनवाई करते हुए कहा कि प्रदूषण कम करने के लिए सभी राज्य व्यावहारिक समाधान लेकर सामने आएं। लोगों को मरने की इजाजत नहीं दे सकते। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि राज्यों के मुख्य सचिव ठोस कदम उठाएं अन्यथा उन्हें कोर्ट में पेश होना पड़ेगा। खेतों में पराली की आग रोकनी होगी। बैठकें हो रही हैं लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ नहीं हो पा रहा है। मामले की अगली सुनवाई 21 नवंबर को होगी।
कोर्ट ने कहा कि हस्तक्षेप करने के बाद ही चीजें क्यों आगे बढ़ती हैं। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार (Central Government) से पूछा कि क्या वो पराली को वैकल्पिक ईंधन बनाने वाली मशीनों का 50 फीसदी वहन करने को तैयार है। कोर्ट ने कहा कि कुछ प्रोत्साहन या जुर्माना लगा सकते हैं जैसे जो लोग पराली जलाते हैं, उन्हें अगले साल न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलेगा। इस तरह से बचाव की प्रक्रिया को हमें अपनाना होगा। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि हर साल ऐसा होता है। छह साल से हर कोई पूछ रहा है। जस्टिस कौल ने कहा कि अगर मुझे सही से याद है तो एमिकस क्यूरी ने कहा था कि डाटा मौजूद नहीं है। इस पर एमिकस अपराजिता ने कोर्ट को बताया कि अब डाटा वेबसाइट पर आ गया है। वह डाटा काफी हद तक समान है।
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इस पर दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन की उपस्थिति में डीपीसीसी की ओर से पेश वकील ने कहा कि हमने विवरण देते हुए हलफनामा दायर किया है। तब जस्टिस कौल ने पूछा कि डाटा को रिकॉर्ड पर अपडेट क्यों नहीं रखा जा रहा। तब डीपीसीसी ने कहा कि स्मॉग टावर प्रायोगिक आधार पर स्थापित किया गया था। जिसका प्रभाव क्षेत्र दो किलोमीटर तक होने की उम्मीद थी। हालांकि जून से सितंबर-अक्टूबर तक बारिश होने के कारण स्मॉग टावर को बंद करना पड़ा क्योंकि बारिश के दौरान इसे नहीं चलाया जा सकता।
सुनवाई के दौरान एमिकस अपराजिता सिंह ने बताया कि पराली जलाने से प्रदूषण बढ़ने में 24 फीसदी का योगदान है। कोयला और फ्लाई ऐश से 17 फीसदी और वाहनों से 16 फीसदी प्रदूषण रिकॉर्ड किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सभी जानते हैं कि प्रदूषण के स्रोत क्या हैं लेकिन सभी कोर्ट के व्हिप का इंतजार करते हैं। हमारे पास हर समस्या का समाधान है पर कोई कुछ नहीं कर रहा। जस्टिस कौल ने कहा कि हम नतीजे चाहते हैं। हम विशेषज्ञ नहीं हैं लेकिन हम सिर्फ समाधान चाहते हैं। हम सिर्फ उपायों को ग्राउंड लेवल पर लागू करना चाहते हैं।
जस्टिस कौल ने कहा कि पराली जलाने की एक बड़ी वजह पंजाब में धान की खास किस्म की खेती होना है। किसानों को दूसरी फसलों के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है। हालांकि उसके बाद भी पराली जलाने पर रोक जरूरी है। कोर्ट ने ऑड-इवन स्कीम पर आज फिर सवाल उठाया और कहा कि एमिकस ने कहा है कि इस स्कीम से फायदा नहीं होगा। वहीं, दिल्ली सरकार ने दो रिसर्च सुप्रीम कोर्ट से साझा करते हुए कहा कि इस स्कीम के जरिए फायदा होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक वाहनों से 17 फीसदी कमी आती है जबकि दिल्ली सरकार कह रही है कि 13 फीसदी की कमी आती है। कोर्ट ने पूछा कि यह अंतर क्यों है। जस्टिस कौल ने कहा कि आपको जो करना है आप करें हम उसपर नहीं जाएंगे। कल को आप कहेंगे की सुप्रीम कोर्ट ने हमारी स्कीम को लागू नहीं करने दिया। हम बस ये कहना चाहते हैं कि स्कीम का असर हो। आप अपना फैसला लीजिए। इसमें हम कुछ नहीं कह रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें लोगों के स्वास्थ्य की चिंता है। हर किसी के पास दो कार तो नहीं होंगी, लेकिन अगर स्कूटर है तो उस पर लागू नहीं होगा। आपको इसके लिए जो करना है आप करें।
कोर्ट ने कहा कि कोई भी किसान कैसे किसी दूसरे विकल्प पर जाएगा जब तक उसे सुविधा न दी जाएगी। इस पर वकील विकास सिंह ने कहा कि मशीनों पर 80 फीसदी सब्सिडी है लेकिन उसके बाद भी किसान उसे नहीं ले रहे हैं। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पराली जलाने पर रोक लगानी ही होगी। केवल आप एफआईआर दर्ज कर रहे हैं। आप अभी एफआईआर दर्ज करेंगे बाद में उसे वापस ले लेंगे, लेकिन पराली जलाने से जो नुकसान होगा वो तो होगा ही।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पंजाब सरकार से कहा कि आप कोर्ट के आदेश लागू करें। हम लोगों को प्रदूषण की वजह से मरने नहीं दे सकते। कोर्ट ने कहा कि पंजाब सरकार पर सवाल उठता है कि किसान केवल बासमती की फसल ही क्यों उगाते हैं। पंजाब सरकार आखिर किसानों के संगठन से बात क्यों नहीं करती। उनका संगठन बेहद एक्टिव है। राज्य सरकार को बात करनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अगर हम कमेटी बनाते हैं तो जिम्मेदारी कमेटी पर शिफ्ट हो जाएगी। इसे राज्य के कैबिनेट सेक्रेटरी मॉनिटर करेंगे।
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा कि वो दीपावली के बाद कृत्रिम बारिश करना चाहते हैं। इसको लेकर कई एजेंसी को इजाजत की जरूरत होगी। केंद्र से इजाजत चाहिए। तब जस्टिस कौल ने कहा कि इसके लिए हमारी इजाजत की जरूरत नहीं है। अटार्नी जनरल यहां हैं, आप बात करिए।
कोर्ट ने 7 नवंबर की सुनवाई के दौरान पराली जलाने की घटनाओं पर सख्ती बरतते हुए कहा था कि राज्य सरकारें पराली जलाने की घटनाओं पर तत्काल रोक लगाएं। हम नहीं जानते कि आप कैसे करेंगे, पर इसे तत्काल रोकिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रदूषण का तत्काल समाधान होना चाहिए, इस मामले में हमारा जीरो टॉलरेंस है। प्रदूषण पर राजनीतिक लड़ाई नहीं होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा था कि स्मॉग टावर तुरंत शुरू होना चाहिए, हम नहीं जानते सरकार कैसे स्मॉग टावर शुरू करेगी। सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार ने कोर्ट में कहा था कि पराली की समस्या का एक समाधान है। अगर अन्य फसलों के लिए भी न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था की जाए तो किसान दूसरी फसलों की तरफ शिफ्ट होंगे।
कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा कि आपको कोई ऐसा उपाय करना चाहिए कि किसान दूसरी फसलों की खेती की तरफ रुख करें। पंजाब सरकार ने कहा कि छोटे और मंझोले किसानों को इसके लिए हम गिरफ्तार नहीं कर सकते। हम पराली प्रबंधन की मशीनों पर 50 फीसदी छूट दे रहे हैं। तब कोर्ट ने कहा कि आप कुछ भी कीजिए, पराली जलाने की घटनाओं को हर हाल में रोकिए।
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