सर्वोच्च न्यायालय ने अडानी सूमह पर हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा जारी किये गए रिपोर्ट की जांच के लिए एक समिती के गठन का आदेश दिया है। जो हिंडनबर्ग की रिपोर्ट की जांच करेगी, इसके अलावा सेबी की जांच भी चलती रहेगी, जिसे दो महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपनी है। इस जांच रिपोर्ट के आने के बाद अडानी समूह पर छाए अस्थिरता के वातावरण का निराकरण भी हो जाएगा।
अमेरिकी कंपनी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने भारत के अडानी समूह पर एक रिपोर्ट जारी की थी। इसके बाद से अडानी समूह के शेयर्स तेजी से नीचे गिरे। इससे विश्व में शीर्ष पांच धनवानों की सूची में पहुंचे गौतम अडानी अब शीर्ष 30 धनवान उद्योगपतियों में भी नहीं हैं। इसका दूसरा नुकसान लाइफ इंश्योरेंन्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया और भारतीय बैंकों को उठाना पड़ा है। इस प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका डाली गई थी। जिस पर सुनवाई करते हुए शीर्ष न्यायालय ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश ए.एम सप्रे की अध्यक्षता में एक समिती के गठन का आदेश दिया है। जो इस प्रकरण की जांच कर रिपोर्ट सौंपेगी। इसके अलावा सेबी (सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) भी इस प्रकरण की जांच जारी रखेगी, वह दो महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
ये हैं समिती के सदस्य
सेवानिवृत्त न्यायाधीश ए.एम सप्रे – अध्यक्ष, ओ.पी भट (पूर्व अध्यक्ष-एसबीआई), सेवानिवृत्त न्यायाधीश जे.पी देवधर, एम.वी कामत, नंदन निलेकनी, सोमशेखरन सुंदर्सन
क्या है हिंडनबर्ग रिपोर्ट?
शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग ने 24 जनवरी, 2023 को अडानी एंटरप्राइज पर एक रिपोर्ट जारी की थी। जिसमें अडानी समूह पर शेयरों की ओवर वैल्यूइंग और आर्थिक परिस्थिति के विपरीत होने की बातें थीं। इसके बाद अडानी समूह की प्रतिभूतियों के मूल्य तेजी से नीचे गिरने लगे। इस आपाधापी ने अडानी समूह ने अपना एफपीओ वापस ले लिया। समूह का मार्केट कैप 12 लाख करोड़ रुपए से अधिक गिर चुका है। इसके कारण अडानी के नेटवर्थ कम हो गई है, जो गौतम अडानी 23 फरवरी, 2023 को विश्व के शीर्ष अरबपतियों की सूची में चौथे क्रमांक पर थे और उनकी नेटवर्थ 116 अरब डॉलर थी, वे अब 33वें क्रमांक पर हैं।