दिल्ली एनसीआर रैपिड रेल प्रोजेक्ट (Delhi NCR Rapid Rail Project) को लेकर सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने दिल्ली सरकार (Government of Delhi) को फटकार लगाई है। जस्टिस संजय करोल (Justice Sanjay Karol) की खंडपीठ ने सोमवार (3 जून) को मामले की सुनवाई की। इस दौरान दिल्ली सरकार ने बताया कि वे इस प्रोजेक्ट के लिए फंड (Fund) उपलब्ध कराने में सक्षम नहीं हैं।
इस पर सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई। न्यायालय ने कहा कि आपके पास विज्ञापन (Advertisement) पर खर्च करने के लिए पैसा है, लेकिन रेल प्रोजेक्ट के लिए नहीं। न्यायालय ने दिल्ली सरकार से तीन साल के बजट का ब्योरा मांगा है। इसमें यह जानकारी देने को कहा गया है कि दिल्ली सरकार ने पिछले तीन वर्षों में विभिन्न परियोजनाओं के विज्ञापनों पर कितना खर्च किया है।
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विज्ञापनों पर किए गए खर्च का ब्योरा देने का निर्देश
न्यायालय ने दिल्ली सरकार से कहा, “अगर आपके पास विज्ञापनों के लिए पैसा है, तो आपके पास उस परियोजना के लिए पैसा क्यों नहीं है जो सुचारू परिवहन सुनिश्चित करेगी।” न्यायालय ने दिल्ली सरकार को पिछले तीन वित्तीय वर्षों में आरआरटीएस द्वारा विज्ञापनों पर किए गए खर्च का विवरण देने का निर्देश दिया।
सेमी हाई स्पीड रेल कोरिडोर
गौरतलब है कि दिल्ली-मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम एक सेमी-हाई स्पीड रेल कॉरिडोर है। इसका निर्माण अभी भी जारी है। यह कॉरिडोर दिल्ली, गाजियाबाद और मेरठ को जोड़ेगा। यह रैपिड एक्स परियोजना के तहत नियोजित तीन रैपिड रेल गलियारों में से एक है। यह एक चरण की परियोजना है।
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