सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों के बाद दाखिल याचिकाओं की सुनवाई बंद कर दी है। कोर्ट ने नड़ोदा ग्राम मामले को छोड़कर 2002 के गुजरात दंगे से जुड़े सभी मामलों को बंद कर दिया। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि न्यायालय ने एसआईटी गठित की थी और दंगे के लगभग सभी प्रकरण में निचली अदालत का फैसला आ चुका है। अब सर्वोच्च न्यायालय में मामला लंबित रखना जरूरी नहीं है।
सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात दंगों से जुड़े दस प्रकरणों का निपटारा करते हुए, सभी प्रकरणों की सुनवाई बंद कर दी है। यह सभी सुनवाइयां राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने दायर की थी। प्रकरण की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित, न्यायाधीश एस.रविंद्र भट और न्यायाधीश पारदीवाला की बेंच कर रही थी। न्यायाधीशों ने अपनी टिप्पणी में कहा कि, दंगों से संबंधित 9 प्रकरणों में एसआईटी का गठन पहले ही हो चुका है और 8 प्रकरणों की जांच भी पूरी हो चुकी है।
कारसेवकों को जलाए जाने से हुए दंगे
27 फरवरी, 2002 को गुजरात के गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस में सवार अयोध्या से लौट रहे कारसेवकों के डिब्बे में आग लगा दी गई थी। इसमें 59 कारसेवक व उनके परिवार के लोग जीवित जल गए थे। इसकी परिणति में गुजरात में दंगे भड़क उठे।