सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम ने दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पद के लिए सौरभ किरपाल की नियुक्ति का प्रस्ताव भेजा है। यदि यह नियुक्ति होती है तो सौरभ देश के पहले समलैंगिक न्यायाधीश होंगे। यह निर्णय समलैंगिकों के अधिकारों के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
किरपाल सुनील मेहरा और नवतेज सिंह जौहर का प्रतिनिधित्व करनेवाले वकीलों की टीम का हिस्सा थे, जो उस ऐतिहासिक मामले में याचिकाकर्ताओं में शामिल थे, जिसमें शीर्ष अदालत ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया था।
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कौन हैं सौरभ किरपाल?
सौरभ, भूपिंदर नाथ किरपाल के पुत्र हैं, जिन्होंने 2002 में भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य किया। उन्होंने ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालयों में कानून का अध्ययन किया और दो दशकों से अधिक समय से प्रैक्टिस कर रहे हैं।
ऐसे सामने आया सौरभ का नाम
सौरभ किरपाल की नियुक्ति का पहला प्रस्ताव न्यायाधीश गीता मित्तल की अक्ष्यक्षता वाले कॉलेजियम ने 2017 में सर्वोच्च न्यायालय के पास भेजा था। जिसे पहली बार सर्वोच्च न्यायालय ने 2018 में लिचार के लिए मान्य किया। अब इसके तीन साल बाद सर्वोच्च न्यायालय ने इस संबंध में प्रस्ताव आगे भेजा है। इसके पहले तीन बार सर्वोच्च न्यायालय (जनवरी 2019, अप्रैल 2019, अगस्त 2020) इस पर अपना निर्णय टाल चुका है।