गोधरा के दोषी की जमानत बढ़ी, अब्दुल 2023 तक रहेगा घर

गोधरा में कारसेवकों से भरी साबरमती ट्रेन की बोगी को मुस्लिम धर्मांध भीड़ ने आग के हवाले कर दिया था। इसका गुजरात में हिंसात्मक प्रतिरोध हुआ था।

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सर्वोच्च न्यायालय ने एक आदेश में गोधरा कांड के षड्यंत्रकारी अब्दुल रहमान अब्दुल मजिद की जमानत को मार्च 2023 तक बढ़ा दिया है। यह निर्णय अब्दुल की पत्नी के खराब स्वास्थ्य को देखते हुए लिया गया है। वह पहले से ही जमानत पर है।

गोधरा स्टेशन पर कारसेवकों से भरी साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 बोगी को 27 फरवरी, 2002 को मुस्लिम भीड़ ने आग के हवाले कर दिया था। इसमें 59 कारसेवक जीवित ही जल गए थे, बोगी में पुरुषों के साथ महिला और बच्चे भी थे। इसके बाद भीड़ ने आग बुझाने पहुंचे दमकल कर्मियों और पुलिस कर्मियों पर पथराव किया था। इस प्रकरण में अब्दुल मजिद को सजा हुई है। उसने बीस वर्ष जेल की सजा काटी है, इसके बाद उसने सर्वोच्च न्यायालय में अपने छोड़े जाने के लिए याचिका दायर की है। जिस पर निर्णय होना बाकी है।

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इस प्रकरण की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई चंद्रचूड़, न्यायाधीश हिमा कोहली और न्यायाधीश जे.बी पारडीवाला की खंडपीठ में हो रही थी। न्यायालय ने माजिद की पत्नी के ओवेरियन कैंसर और दो बेटियों की अपंगता को देखते हुए दिया है।

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