महाराष्ट्र सत्ता संघर्ष: सर्वोच्च न्यायालय में अस्वीकार हुई ठाकरे गुट की वह मांग, अंतिम आदेश की तिथि भी लंबी खिंच सकती है!

शिवसेना में बड़ी फूट पड़ी थी। जिसमें उसके चालीस विधायकों ने अलग गुट बनाकर भाजपा के साथ सरकार का गठन कर लिया। इन विधायकों के साथ निर्दलीय विधायकों की संख्या मिलाकर पचास का संख्याबल है और बारह सांसदों का संख्याबल है।

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राज्य में शिवसेना के दो गुटों में बँटने के बाद शुरू हुए सत्ता संघर्ष का मुद्दा सर्वोच्च न्यायालय में पहुंचा था। इसमें विधायकों का निलंबन और प्रकरण की सुनवाई सात न्यायाधीशों की खंडपीठ को सौंपने की याचिका पर लगातार तीन दिनों से सुनवाई हो रही थी। जिसका निर्णय आ गया है, ठाकरे गुट की मांग को सर्वोच्च न्यायालय ने अस्वीकार कर दिया है। इस प्रकरण की सुनवाई अब पांच न्यायाधीशों की खंडपीठ ही करेगी।

बालासाहेबांची शिवसेना और भाजपा की महाराष्ट्र में सरकार है। यह सरकार शिवसेना के दो धड़ों में बँटने के बाद अस्तित्व में आई है। इसके बाद शिवसेना के दोनों धड़े न्यायालय में याचिका लेकर पहुंचे हैं। इसमें दो प्रमुख मुद्दों पर सुनवाई हो रही थी, जिसमें एक था शिवसेना के 16 विधायकों का निलंबन वैध है या अवैध और दूसरा मुद्दा प्रमुख मुद्दा इस पूरे प्रकरण से जुड़े सभी मामले सर्वोच्च न्यायालय के सात सदस्यीय खंडपीठ को सौंपा जाए या नहीं? इसका निर्णय करते हुए पांच सदस्यी खंडपीठ ने कहा है कि, इस प्रकरण में विस्तृत सुनवाई की आवश्यकता है। इसलिए इसमें अधिक सुनवाई की आवश्यकता है, इसे पांच सदस्यीय खंडपीठ ही सुनेगा। अब इस प्रकरण की सुनवाई अब 21 फरवरी को सबेरे 10.30 बजे होगी।

खिंच सकता है फैसला
जानकारों के अनुसार, शिवसेना के अंतर्कलह और महाराष्ट्र सरकार पर विवाद सर्वोच्च न्यायालय में अधिक खिंच गया गया है। इस प्रकरण में सर्वोच्च न्यायालय ने अब 21 और 22 फरवरी को होनी है, सूत्रों के अनुसार इस प्रकरण का अंतिम निर्णय आने में मई तक का समय लग सकता है। वैसे यह कहना अभी जल्दबाजी ही है।

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