सर्वोच्च न्यायालय ने मान ली बात, तब तक लटके नवाब

नवाब मलिक ने याचिका दायर कर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी की ओर से की जा रही जांच के मामले में रिहाई की मांग की है।

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सर्वोच्च न्यायालय महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री और एनसीपी नेता नवाब मलिक की याचिका पर जल्द सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। 13 अप्रैल नवाब मलिक की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने इस मामले पर जल्द सुनवाई की मांग की जिसके बाद न्यायालय ने जल्द सुनवाई करने का भरोसा दिया। परंतु, तब तक नवाब मलिक को हिरासत में ही दिन काटने होंगे।

मनी लाउंड्रिंग एक्ट 2005 में लागू
13 अप्रैल कपिल सिब्बल ने चीफ जस्टिस एनवी रमण्णा की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष इस मामले को मेंशन करते हुए कहा कि मनी लॉड्रिंग एक्ट 2005 में लागू किया गया है, जबकि ईडी 2000 में हुए लेन देन को आधार बनाकर हिरासत में रखा गया है। नवाब मलिक ने याचिका दायर कर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी की ओर से की जा रही जांच के मामले में रिहाई की मांग की है।

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राहत देने से इनकार
दरअसल 15 मार्च को बांबे उच्च न्यायालय ने नवाब मलिक की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए नवाब मलिक को कोई भी राहत देने से इनकार कर दिया था। नवाब मलिक ने याचिका में कहा है कि स्पेशल न्यायालय की ओर से हिरासत में भेजने का आदेश पूरे तरीके से गैरकानूनी है।

टेरर फंडिंग के आरोप में गिरफ्तार
बता दें कि ईडी ने 23 फरवरी को आतंकी दाऊद इब्राहिम के खिलाफ दर्ज एफआईआर के मामले में नवाब मलिक को गिरफ्तार किया था। एफआईआर में दाऊद की बहन हसीना पारकर से जुड़े भूमि सौदे के मामले में मलिक को टेरर फंडिंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

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