Kolkata Rape-Murder Case: SC ने बंगाल पुलिस की जांच पर उठाए सवाल, डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील

सर्वोच्च न्यायालय में कोलकाता रेप मर्डर केस की सुनवाई के दौरान जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कोलकाता पुलिस के रवैये पर संदेह जताते हुए कहा कि हमने पिछले 30 सालों में ऐसा मामला नहीं देखा है।

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कोलकाता (Kolkata) के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (RG Kar Medical College and Hospital) में जूनियर डॉक्टर (Junior Doctor) से रेप एवं मर्डर (Murder) मामले में गुरुवार (22 अगस्त) को सीबीआई और बंगाल सरकार (Bengal Government) ने सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) में सीलबंद कवर में स्टेटस रिपोर्ट सौंपी। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने पश्चिम बंगाल पुलिस की जांच के तरीके पर कई सवाल खड़े किए लेकिन सीजेआई ने यह भी कहा कि डॉक्टरों को काम पर लौटना चाहिए।

सर्वोच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल से पूछा कि रेप और मर्डर 8 और 9 अगस्त की रात को हुआ था। मौत की अननैचुरल डेथ की एंट्री 9 अगस्त की सुबह 10 बजकर 10 मिनट पर दर्ज की गई। क्राइम सीन की सुरक्षा, सबूत जुटाने आदि का काम रात साढ़े 11 बजे किया गया। अस्पताल प्रशासन इतने लंबे समय तक क्या कर रहा था। सुनवाई के दौरान जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि जिस तरीके से बंगाल पुलिस ने इस केस को हैंडल किया है, उसमें उन्होंने तय कानूनी प्रकिया का पालन नहीं किया है। ऐसा मैंने पिछले 30 साल के करियर में कभी नहीं देखा।

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हमने पिछले 30 सालों में ऐसा मामला नहीं देखा
सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में कोलकाता पुलिस के रवैये पर कड़ी टिप्पणी की। जस्टिस जेबी पारदीवाला ने कहा कि हमने पिछले 30 सालों में ऐसा मामला नहीं देखा है। सर्वोच्च न्यायालय ने सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट और कोलकाता पुलिस की जांच रिपोर्ट में अंतर पर भी सवाल उठाए और कोलकाता पुलिस के रवैये को संदिग्ध बताया।

चीफ जस्टिस ने कहा कि हम चाहते हैं कि डॉक्टर काम पर लौटें
सुनवाई के दौरान एम्स की ओर से पेश वकील ने कहा कि हम काम कर रहे हैं और प्रोटेस्ट भी कर रहे हैं लेकिन प्रोटेस्ट की वजह से उन्हें परेशान किया जा रहा है। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि डॉक्टर आश्वस्त रहें। हम जानते हैं वो 36 घंटों तक भी काम करते हैं। मैं खुद सरकारी अस्पताल में फर्श पर सोया हूं, जब मेरे परिवार के एक सदस्य अस्पताल में भर्ती थे। चीफ जस्टिस ने कहा कि हम चाहते हैं कि डॉक्टर काम पर लौटें। अगर वो काम पर नहीं लौटते हैं तो पब्लिक हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर का पूरा ढांचा ही गड़बड़ा जाएगा। कोर्ट ने कहा कि अगर डॉक्टर काम पर लौटते हैं तो फिर उनके खिलाफ कोई एक्शन न लिया जाए।

क्राइम सीन में सब कुछ बदल दिया गया
आज सीबीआई और पश्चिम बंगाल पुलिस ने सीलबंद कवर में सर्वोच्च न्यायालय में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की। कोर्ट के निर्देश पर आज सीबीआई को इस मामले में अब तक की जांच प्रगति की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करनी थी। सीजेआई चंद्रचूड़ ने आरोपित की मेडिकल रिपोर्ट के बारे में पूछा तो वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यह केस डायरी का हिस्सा है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सीबीआई ने 5वें दिन जांच शुरू की लेकिन तब तक क्राइम सीन में सब कुछ बदल दिया गया और जांच एजेंसी को नहीं पता था कि ऐसी कोई रिपोर्ट है। वरिष्ठ अधिवक्ता सिब्बल ने एसजी की दलील का विरोध किया और कहा कि सब कुछ की वीडियोग्राफी है, न कि बदला गया। एसजी मेहता ने कहा कि शव के अंतिम संस्कार के बाद 11:45 बजे एफआईआर दर्ज की गई और पीड़िता के वरिष्ठ डॉक्टरों और सहकर्मियों के जोर देने के बाद वीडियोग्राफी की गई और इसका मतलब है कि उन्हें भी कुछ संदेह था।

लीपापोती की गई थी
सीजेआई चंद्रचूड़ ने सवाल किया कि परिजनों को शव सौंपे जाने के 3.15 घंटे बाद एफआईआर क्यों दर्ज की गई?” इस पर कपिल सिब्बल ने कहा, “क्योंकि पीड़िता के पिता ने रात 11:45 बजे एफआईआर दर्ज कराई थी।” सीजेआई ने कहा कि पीड़िता के माता-पिता की अनुपस्थिति में एफआईआर दर्ज करना अस्पताल का कर्तव्य था, इस दौरान प्रिंसिपल और अस्पताल बोर्ड क्या कर रहे थे?” सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जिस सेमिनार हॉल में डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की गई थी, उसमें समझौता किया गया था। सीबीआई ने स्पष्ट रूप से कहा कि इसमें लीपापोती की गई थी। बंगाल के पुलिसकर्मी नागरिकों को नोटिस जारी करने में व्यस्त थे? इसके लिए कौन जिम्मेदार है?

डॉक्टरों और प्रशिक्षुओं की चिंताओं का समाधान किया जाना चाहिए
रेजिडेंट डॉक्टर की तरफ से कहा गया कि उन्हें भी कमेटी में शामिल किया जाए। चीफ जस्टिस ने कहा कि कमेटी में वो लोग हैं, जो लंबे समय से स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। आप निश्चिंत रहिए कमेटी आपकी बात भी सुनेगी। पहले फैसला करने दीजिए। कमेटी में महिला डॉक्टर हैं जिन्हें सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचे में काफी समय तक काम किया है। कमेटी यह सुनिश्चित करेगी कि डॉक्टरों और इंटर्न की चिंताओं का समाधान किया जाए। कई सरकारी अस्पतालों के लिए पेश वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत ने कहा कि 30 हजार डॉक्टरों का प्रतिनिधित्व करता हूं हमें इसमे कुछ प्रतिनिधित्व चाहिए। चीफ जस्टिस ने कहा चूंकि आप सरकारी अस्पताल के प्रतिनिधि हैं इसलिए आपकी हिस्सेदारी बहुत बड़ी है। समिति को बैठक बुलाने दीजिए और आपके प्रतिनिधि की बात सुनी जाएगी।

वकील करुणा नंदी ने कहा कि अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष पर कई अनियमितताओं के आरोप लगे हैं। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि हम पहले सीबीआई की रिपोर्ट देखते हैं, उसके बाद सुनेंगे।

डॉक्टरों को हमेशा हिंसा और धमकियों का सामना करना पड़ता है
डॉक्टरों के संगठन फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (एफएआईएमए) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि कोर्ट की ओऱ से गठित नेशनल टास्क फोर्स की अनुशंसाओं के लागू होने तक डॉक्टरों को अंतरिम सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश जारी किया जाए। याचिका में नेशनल टास्क फोर्स में रेजिडेंट डॉक्टरों के प्रतिनिधि को भी शामिल करने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया था कि डॉक्टरों को हमेशा ही हिंसा और धमकियों का शिकार होना पड़ता है। डॉक्टरों को मृत मरीजों के परिजनों से मिलते समय हमेशा ही खतरा बरकरार रहता है। डॉक्टरों को काम के दौरान सुरक्षा मौलिक अधिकार है।

युवा डॉक्टर अपने काम के माहौल में सुरक्षित रहें
सर्वोच्च न्यायालय ने 20 अगस्त को कोलकाता रेप एवं मर्डर मामले में सुनवाई करते हुए सीबीआई को 22 अगस्त तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने एक टास्क फोर्स का गठन करने का आदेश दिया था, जो पूरे भारत में अपनाए जाने वाले तौर-तरीकों का सुझाव देंगे, ताकि काम की सुरक्षा की स्थिति बनी रहे और युवा डॉक्टर अपने काम के माहौल में सुरक्षित रहें। कोर्ट ने डॉक्टरों से अनुरोध किया था कि वे काम पर लौट आएं। कोर्ट ने कहा था कि अगर मरीज़ों की जान चली जाती है तो हम डॉक्टरों से अपील करते हैं कि हम उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यहां हैं। (Kolkata Rape-Murder Case)

देखें यह वीडियो – 

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