सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली के जहांगीरपुरी में अतिक्रमण हटाने पर रोक के आदेश को बरकरार रखा है। जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली बेंच इस मामले पर दो हफ्ते बाद सुनवाई करेगी।
न्यायालय ने कहा कि सभी लोग एक दूसरे की दलीलों पर जवाब दें। फिलहाल 20 अप्रैल का अंतरिम आदेश जारी रहेगा। हम सभी याचिकाओं पर नोटिस कर रहे हैं। न्यायालय ने कहा कि अगर हमारे आदेश के बाद भी कार्रवाई चलती रही तो हम इसे भी गंभीरता से लेते हैं। यथास्थिति का आदेश सिर्फ दिल्ली के लिए है।
इस तरह चली सुनवाई
सुनवाई के दौरान वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि यह राष्ट्रीय महत्व का मसला है। पहले कभी दंगे के बाद इस तरह की कार्रवाई नहीं हुई है। एक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। तब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इनको केस के तथ्यों पर बात करने के लिए कहिए। यह भाषण का मंच नहीं है। तब न्यायालय ने दवे से कहा कि आप केस पर बात करिए।
दवे की दलील
दवे ने कहा कि कानूनन 5 से 15 दिनों का नोटिस मिलना चाहिए था। ऐसे मामलों में कई बार न्यायालय ने नोटिस की मियाद को बढ़ाया है। भाजपा नेता ने चिट्ठी लिखी और लोगों को बिना मौका दिए कार्रवाई हो गई। दिल्ली में 1731 अनधिकृत कॉलोनी है। लगभग 50 लाख लोग रहते हैं। लेकिन एक ही कॉलोनी को निशाना बनाया जा रहा है। दवे ने कहा कि 30 साल से ज्यादा पुराने निर्माण को अचानक गिराना शुरू कर दिया। यहां जंगलराज जैसा चल रहा है। सैनिक फार्म और जहां मैं रहता हूं, उस गोल्फ लिंक्स में हर दूसरे घर में अवैध निर्माण है। निगम की वहां कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं है जबकि जहांगीरपुरी में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की चिट्ठी पर कार्रवाई हो रही है।
कपिल सिब्बल ने लगाया आरोप
सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि अतिक्रमण और अवैध निर्माण पूरे देश की समस्या है लेकिन इसकी आड़ में एक समुदाय को निशाना बना रहे हैं। मध्य प्रदेश के मंत्री ने कहा कि अगर मुसलमान शांत नहीं रहेंगे, तो उनसे कोई रियायत नहीं होगी। यह समय है कि कोर्ट यह संदेश दे कि देश में कानून का शासन है। तब जस्टिस राव ने कहा कि हम देश भर में अतिक्रमण हटाने का अभियान रोकने का आदेश नहीं दे सकते हैं। सिब्बल ने कहा कि मैं बुलडोजर की बात कर रहा हूं। जिस तरह से सब हो रहा है, यह गलत है। तब कोर्ट ने कहा कि यह काम बुलडोजर से ही होता है। वैसे हम आपकी बात समझ गए।
तुषार मेहता ने रखा सरकार का पक्ष
सुनवाई के दौरान दवे, पीवी सुरेंद्रनाथ, संजय हेगड़े और शमशाद ने कहा कि 20 अप्रैल को आए न्यायालय के आदेश के बाद भी अभियान चलता रहा। तब तुषार मेहता ने कहा कि इलाके में 19 जनवरी से अभियान चल रहा है। अब एक संगठन (जमीयत उलेमा ए हिंद) मामले में कूद गया है। अभी तक स्थानीय लोग उच्च न्यायालय नहीं गए, क्योंकि उन्हें पता है कि कागज दिखाने पड़ेंगे। मेहता ने कहा कि खरगौन में हिंदुओं की भी 88 संपत्ति तोड़ी गई हैं। इसके नोटिस 2021 में दिए गए थे। यह एक पैटर्न बन गया है कि कोई संगठन मामले में कूदता है, फिर इसे राजनीतिक मसला बना लिया जाता है।
वृंदा करात का आरोप
सीपीएम नेता वृंदा करात ने दिल्ली के जहांगीरपुरी में कोर्ट के आदेश के बावजूद बुलडोजर के जरिए अतिक्रमण की कार्रवाई करते रहने पर सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की है। करात का कहना है कि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई बिना कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किए शुरू कर दिया गया। अतिक्रमण हटाने का नोटिस प्रभावित परिवारों को नहीं दिया गया। याचिका में कहा गया है कि अतिक्रमण हटाने के नाम पर सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिश की जा रही है।
20 अप्रैल को लगा दी थी रोक
बता दें कि 20 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने जहांगीरपुरी में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया था। 20 अप्रैल को वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष इस मामले को मेंशन करते हुए अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि जहांगीरपुरी में अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया असंवैधानिक है। उन्होंने कहा था कि अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया दो बजे दिन में शुरू होने वाली थी लेकिन ये सुबह नौ बजे ही शुरू हो गई। उन्होंने कहा था कि इसके लिए औपचारिक याचिका दायर कर दी गई है। उसके बाद कोर्ट ने अतिक्रमण की कार्रवाई पर रोक लगाने और याचिका पर 21 अप्रैल को सुनवाई करने का आदेश दिया था।
शोभायात्रा के दौरान हिंसा
16 अप्रैल को जहांगीरपुरी में शोभायात्रा के दौरान हिंसा हुई थी। इस मामले में अब तक 25 से अधिक गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। उधर, नगर निगम ने अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलाकर अतिक्रमण की कार्रवाई का आदेश जारी किया था।