NEET Controversy: नीट मामले में सर्वोच्च न्यायालय की सख्त टिप्पणी, कहा- पर्याप्त सबूत हैं, इसे NTA बनाम छात्र न समझें

सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को नीट परीक्षा घोटाले की जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान एनटीए और केंद्र को नोटिस जारी किया।

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सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) में नीट परीक्षा (NEET Exam) से जुड़ी याचिकाओं (Petitions) की संख्या बढ़ती जा रही है। सर्वोच्च न्यायालय में नीट मामले (NEET Case) की भी सुनवाई हो रही है। मंगलवार (18 जून) को सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की फिर सुनवाई की। इस बार घोटाले (Scam) की जांच की मांग वाली याचिका (Petition) पर सुनवाई हुई। जिस पर न्यायालय ने एनटीए से कहा है कि इसे एनटीए (NTA) बनाम छात्र (Students) न समझा जाए।

इतना ही नहीं सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि अगर 0.001% लापरवाही भी हुई तो बच्चों की मेहनत को नहीं भुलाया जा सकता। सर्वोच्च न्यायालय की इस टिप्पणी को काफी सख्त माना जा रहा है। सर्वोच्च न्यायालय ने याचिकाओं पर सुनवाई की और एनटीए को नोटिस जारी किया। जवाब देने के लिए 2 हफ्ते का समय दिया गया है।

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सर्वोच्च न्यायालय ने क्या कहा?
एक बार फिर सर्वोच्च न्यायालय ने सख्त रुख दिखाते हुए विवाद पर अहम टिप्पणी की है। सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार और एनटीए से कहा कि अगर किसी की तरफ से 0.001% भी लापरवाही हुई है तो उससे पूरी तरह निपटा जाना चाहिए। बच्चों ने परीक्षा की तैयारी की है, हम उनकी मेहनत को नहीं भूल सकते। बता दें कि जिन याचिकाओं पर आज सुनवाई हुई, उन पर 8 जुलाई को भी सुनवाई होगी। नीट परीक्षा दोबारा कराने की मांग वाली नई याचिकाएं सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गई हैं। सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने एनटीए को नोटिस जारी कर 8 जुलाई तक जवाब देने का निर्देश दिया है।

24 लाख बच्चों के भविष्य का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए केंद्र सरकार और एनटीए को नोटिस जारी किया है, लेकिन पेपर रद्द करने और काउंसलिंग रोकने से इनकार कर दिया है। अब मामले में फैसला 8 जुलाई को आएगा। बता दें कि देशभर में करीब 24 लाख छात्र नीट परीक्षा दे रहे हैं। 8 जुलाई को फैसला आने के बाद इन छात्रों के भविष्य का फैसला होगा।

क्या है पूरा विवाद
नीट की परीक्षा 5 मई 2024 को आयोजित की गई थी। छात्रों का आरोप है कि परीक्षा से पहले ही पेपर लीक हो गया था, लेकिन एनटीए ने कोई कार्रवाई नहीं की। परीक्षा के दौरान कई केंद्रों पर पेपर बांटने में देरी हुई। इसे लेकर छात्रों ने हंगामा भी किया और उन्हें पेपर देने में भी देरी हुई। इसके लिए क्षतिपूर्ति अंक देने का वादा किया गया था। 4 जून को नतीजे घोषित किए गए। ग्रेस अंक देने से नतीजों पर असर पड़ा, इसलिए अब दोबारा पेपर कराने की मांग की जा रही है।

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