कृषि कानूनों पर क्या है सर्वोच्च न्यायालय का फैसला?

12 जनवरी को किसान आंदोलन को लेकर सुनवाई में सर्वोच्च न्यायालय ने इन तीनों कानूनों पर अपने अगले आदेश तक रोक दी है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से मोदी सरकार को बड़ा झटका लगा है।

150

सुर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार के तीनो कृषि कानूनों पर रोक लगा दी है। 12 जनवरी को किसान आंदोलन को लेकर हुई सुनवाई में सर्वोच्च न्यायालय ने इन तीनों कानूनों पर अपने अगले आदेश तक रोक दी है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से मोदी सरकार को बड़ा झटका लगा है। बता दें कि इस मामले में 11 जनवरी को भी सुनवाई की गई थी। कोर्ट ने फिलहाल इसपर फैसला सुरक्षित रख लिया था। 11 जनवरी को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई थी।

ये भी पढ़ेंः किसान आंदोलनः किसको लगी सुप्रीम कोर्ट की फटकार?

सितंबर में लागू किए गए थे कानून
ये तीनों कानून पिछले साल सितंबर में लागू किए गए थे। इनकी वैधता को चुनौती देनेवाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कानूनों पर रोक लगा दी। 12 जनवरी को इसकी सुनवाई पूरी हो गई। इसी दिन इन कानूनों के अध्ययन और किसानों के आरोपों की जांच के लिए एक कमेटी का भी गठन कर दिया गया है।

कमेटी करेगी दोनों पक्षों से बात
यह कमेटी सरकार और किसान संगठनों से बात करेगी। जब तक कमेटि अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में नहीं सौंपती और सुप्रीम कोर्ट नये सिर से फैसला नहीं सुनाती, तब तक किसान कानून लागू नहीं होंगे। सर्वोच्च न्यायालय ने कमेटी के सदस्यों के नामो की भी घोषणा कर दी है। उनके नाम इस प्रकार हैंः

1-जीतेंद्र सिंह मान, अध्यक्ष-बीकेयू
2-डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, इंटरनेशनल पॉलिसी हेड
3- अशोक गुलाटी- कृषि अर्थशास्त्री
4- अनिल धनवल, शिवकोरी संगठन, महाराष्ट्र

किसानों के हितों की रक्षा करने का आश्वासन
सुनवाई के दैरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम किसानों के हितों की रक्षा करेंगे। हम किसानों की जमीन बिकने नहीं देंगे।

आंदोलन समाप्त करने को तैयार नहीं किसान
भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत ने कहा कि माननीय सप्रीम कोर्ट ने किसानो के प्रति जो रुख दिखाया है, उसके लिए हम आभारी हैं, लेकिन किसानों की मांग कानून को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानून बनाने की है। जब तक ये मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर विचार कर संयुक्त मोर्चा आगे की रणनीति का ऐलान करेगा।

प्रतिबंधित संगठन भी आंदोलन में शामिल?
सुप्रीम कोर्ट ने गणतंत्र दिवस परेड को बाधित करने की आशंका के मद्देनजर नोटिस भी जारी किया है। यह नोटिस दिल्ली पुलिस द्वारा दायर याचिका के बाद जारी किया गया है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हमको ऐसा सुनने में मिला है कि प्रतिबंधित संगठन भी आंदोलन में शामिल हैं। इसपर एटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि हम कहना चाहते हैं कि खालिस्तानियों ने विरोध प्रदर्शन में घुसपैठ की है। इस पर सीजेआई ने कहा कि आप कल तक इसपर हलफनामा दायर कीजिए। इसका मतलब यह नहीं कि हम मामले पर आज आदेश नहीं देंगे। आदेश जारी हो जाएगा। आप इस पहलू पर कल तक जबव दें।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.