सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम (Wakf (Amendment) Act), 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं (Petitions) पर सुनवाई (Hearing) की। सीजेआई संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की तीन जजों की बेंच ने मामले की सुनवाई की। कांग्रेस, डीएमके, आम आदमी पार्टी, वाईएसआरसीपी, एआईएमआईएम समेत कई विपक्षी दलों और नेताओं ने वक्फ अधिनियम के खिलाफ याचिकाएं दायर की हैं।
वक्फ अधिनियम में किए गए कई प्रावधानों को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से सवाल किए। वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति के लिए वक्फ अधिनियम में संशोधन किया गया है। सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या वह अब हिंदू धार्मिक संस्थानों में किसी मुस्लिम व्यक्ति की नियुक्ति करेगी।
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कपिल सिब्बल ने सर्वोच्च न्यायालय में यह दलील दी
कपिल सिब्बल ने कहा कि वक्फ के मामले में पर्सनल लॉ लागू होता है और ऐसी स्थिति में मैं किसी और का अनुसरण क्यों करूंगा। 2025 अधिनियम की धारा 3(आर) का हवाला देते हुए – वक्फ की परिभाषा देखें – सिब्बल ने पढ़ा: “अगर मैं वक्फ स्थापित करना चाहता हूं, तो मुझे यह दिखाना होगा कि मैं 5 साल से इस्लाम का पालन कर रहा हूं। अगर मैं मुसलमान पैदा हुआ हूं, तो मैं ऐसा क्यों करूंगा? मेरा पर्सनल लॉ लागू होगा।”
सरकारी वकील ने कोर्ट में पूरी जानकारी दी
बता दें कि वक्फ संशोधन अधिनियम पर सर्वोच्च न्यायालय में तीखी बहस हुई। कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने वक्फ बिल को असंवैधानिक करार देते हुए सर्वोच्च न्यायालय से इसे निरस्त करने की मांग की। तो सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उनकी दलीलों का जवाब दिया। सबसे बड़ा सवाल यह आया कि वक्फ की संपत्ति किसकी होगी? इसकी रजिस्ट्री कौन कराएगा? यह कहां होगी? सीजेआई ने भी इस बारे में जानना चाहा तो सरकारी वकील ने कोर्ट में पूरी जानकारी दी।
जिला कलेक्टर इसकी जांच करेंगे
तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि कानून में यह स्पष्ट है कि अगर कोई सरकारी संपत्ति वक्फ के रूप में चिन्हित की जाती है तो वह वक्फ संपत्ति नहीं रह जाएगी। जिला कलेक्टर इसकी जांच करेंगे। इसका मालिकाना हक तय होगा। अगर यह सरकारी संपत्ति है तो इसे सरकार को वापस करना होगा। उन्होंने बताया कि ऐसा प्रावधान तमिलनाडु जैसे मामलों को ध्यान में रखते हुए किया गया था, जहां पूरे गांव को वक्फ संपत्ति होने का दावा किया गया था।
तुषार मेहता ने कहा कि अगर कोई संपत्ति वक्फ संपत्ति के तौर पर रजिस्टर्ड है तो वह वक्फ संपत्ति ही रहेगी। 1923 में जो पहला कानून आया था, उसमें संपत्ति का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य था। 1954, 1995 में भी यह अनिवार्य था। 2013 में वक्फ एक्ट में संशोधन किया गया, उसमें भी यह अनिवार्य था।
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