-डॉ.आर.के. सिन्हा
Swatantraveer Savarkar: स्वातंत्र्यवीर सावरकर (Swatantraveer Savarkar) के नाम पर दिल्ली यूनिवर्सिटी (Delhi University) एक नया कॉलेज खोलने जा रही है। वीर सावरकर (Veer Savarkar) जैसे महान स्वाधीनता सेनानी (Freedom Fighter) के नाम पर कॉलेज खुलने से देशभर के नौजवान निश्चित रूप प्रेरित होंगे। इस बारे में किसी को किसी तरह का शक भी नहीं होना चाहिए, पर कांग्रेस को तकलीफ हो रही है। कांग्रेस को वीर सावरकर के नाम से हमेशा ही चिढ़ रही है।
अब कांग्रेस को कौन बताए कि वीर सावरकर, जिनका पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर था, भारत के स्वाधीनता आंदोलन के एक अत्यंत महत्वपूर्ण हस्ताक्षर थे। वे एक महान क्रांतिकारी, राष्ट्रवादी विचारक, लेखक और वकील थे। उनका जीवन और कार्य भारतीय इतिहास के एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण और क्रांतिकारी अध्याय का प्रतिनिधित्व करते हैं।
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इंदिरा गांधी करती थीं सावरकर की प्रशंसा
काश, सावरकर के नाम पर खुलने वाले कॉलेज का विरोध करने वाले वीर सावरकर के बारे में अपनी महान नेत्री इंदिरा गांधी की ही राय को जान लेते। इंदिरा गांधी जब भारत की सूचना और प्रसारण मंत्री थीं, तब उन्हीं के निर्देश पर वीर सावरकर पर केंद्रित डाक्यमेंट्री फिल्म उनके विभाग ने बनाई थी। इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री रहते हुए सावरकर की स्मृति में डाक टिकट भी जारी हुआ। इंदिरा गांधी ने अपने निजी खाते से सावरकर स्मृति कोष के लिए 11 हजार रुपये का अंशदान भी किया था।
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पत्र में सावरकर के योगदान का जिक्र
इंदिरा गांधी ने सावरकर को “ रिमार्केबल सन ऑफ इंडिया” कहा था। इंदिरा गांधी ने 20 मई 1980 को पंडित बाखले, सचिव, “स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक” के नाम से संबोधित चिट्ठी में सावरकर के योगदान का जिक्र किया था। इस पत्र में इंदिरा गांधी ने लिखा है, ”मुझे आपका पत्र 8 मई 1980 को मिला था। वीर सावरकर का ब्रिटिश सरकार के खिलाफ मजबूत प्रतिरोध हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के लिए काफी अहम है। मैं आपको देश के महान सपूत के शताब्दी समारोह के आयोजन के लिए बधाई देती हूं।”
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राहुल गैंग को सच्चाई से कोई लेना देना नहीं
मशहूर लेखक वैभव पुरंदरे ने अपनी किताब ‘द ट्रू स्टोरी ऑफ फादर ऑफ हिंदुत्व’ में लिखा है कि इंदिरा गांधी का लिखा पत्र सत्य है। किताब में लिखा है कि इंदिरा गांधी ने 1966 में सावरकर के आत्मार्पण पर गहरा शोक भी जताया था। इंदिरा गांधी ने सावरकर को महान क्रांतिकारी बताते हुए तारीफ की थी और एक बयान भी जारी किया था। इंदिरा गांधी ने कहा था कि सावरकर ने अपने कार्यों से पूरे देश को प्रेरित किया। अफसोस कि कांग्रेसियों को सच जानने से कोई मतलब ही नहीं रहा। उन्हें तो मीन-मेख निकालनी है। इसलिए इतनी पुरानी पार्टी सिकुड़ती ही चली जा रही है।
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बचपन से ही देशभक्ति से ओतप्रोत
वीर सावरकर तो बचपन से ही देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत थे और उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध में भाग लेना शुरू कर दिया था। सावरकर 1905 में श्यामजी कृष्ण वर्मा द्वारा स्थापित ‘इंडिया हाउस’ में शामिल होने के लिए लंदन चले गए। लंदन में, उन्होंने ‘अभिनव भारत’ नामक एक गुप्त क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की, जिसका उद्देश्य भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त करना था।
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1857 का विद्रोह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम
वीर सावरकर ने ‘1857 का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम’ नामक एक पुस्तक लिखी, जिसमें उन्होंने 1857 के सिपाही विद्रोह को भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम बताया। इस पुस्तक को ब्रिटिश सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया था। सावरकर ने इटली के क्रांतिकारी नेता गिउसेप्पे मैजिनी से प्रेरणा ली और उनकी क्रांतिकारी विचारधारा को भारतीय संदर्भ में लागू करने का प्रयास किया। 1910 में, सावरकर को नासिक के जिला मजिस्ट्रेट जैक्सन की हत्या में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें दोषी ठहराया गया और 50 साल की कारावास की सजा सुनाई गई। उन्हें अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में स्थित सेलुलर जेल में भेजा गया, जहां उन्होंने कई वर्षों तक कठोर यातनाएं सहीं। काला पानी में उन्होंने एकांत कारावास, कठोर श्रम और अमानवीय परिस्थितियों का सामना किया।कोल्हू में बेल की तरह जोतकर उनसे सूखे नारियल से तेल निकलवाया जाता था।
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मजबूत और एकजुट हिंदू राष्ट्र के समर्थक
सावरकर ने भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लिया और अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाई। सावरकर हिंदू राष्ट्रवाद के एक प्रमुख पैरोकार थे। उन्होंने एक मजबूत और एकजुट हिंदू राष्ट्र की वकालत की। सावरकर ने जाति व्यवस्था और छुआछूत जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। उन्होंने हिंदू समाज में सुधार लाने के लिए कई आंदोलन चलाए। वे एक कुशल वक्ता और लेखक थे। उनके भाषणों और लेखों ने लोगों को प्रेरित किया और उनमें देशभक्ति की भावना जग
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विचारों को लोगों तक पहुंचा रहे हैं कई संगठन
सावरकर के गृह राज्य महाराष्ट्र में कई संगठन और संस्थान हैं, जो उनके विचारों और कार्यों को बढ़ावा देते हैं। वीर सावरकर महाराष्ट्र में एक सम्मानित और प्रभावशाली व्यक्ति हैं और उन्हें कई लोगों द्वारा एक महान स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक के रूप में याद किया जाता है। वीर सावरकर का एक शानदार चित्र पुराने संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में लगा हुआ था। उनके चित्र का 26 फरवरी, 2003 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने संसद भवन में अनावरण किया था। इसे चंद्रकला कुमार कदम ने बनाया था। जब वीर सावरकर का चित्र लगाने की पहल हुई तब भी कांग्रेस ने यह कहकर विरोध किया था कि वे सांसद नहीं थे। तब कांग्रेसी भूल गए थे कि लोकमान्य तिलक तथा महात्मा गांधी जैसे राजनीति व स्वाधीनता संग्राम में अहम योगदान देने वाले व्यक्ति भी तो सांसद नहीं थे। उनके त्याग व समर्पण को देखते हुए केन्द्रीय कक्ष में उनका चित्र स्थापित कर सम्मान दिया गया।
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कांग्रेस नेताओं की गैर- जरूरी टिप्पणी
कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने कुछ समय पहले वीर सावरकर पर गैर- जरूरी टिप्पणी अपमानजनक की थी। उनकी बयानबाजी से शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे भी नाराज हो गए थे। उनहोंने तब कहा था “हम स्वातंत्र्यवीर सावरकर के बारे में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयान से सहमत नहीं हैं। हमारे मन में सावरकर के लिए सम्मान है।” आपको कोई पसंद नहीं तो ठीक है। खैर, वीर सावरकर कॉलेज खुलने से राजधानी में उस महान स्वाधीनता सेनानी के नाम पर महत्वपूर्ण प्रतीक स्थापित हो जाएगा। देर से ही सही राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अब वीर सावरकर का एक अहम प्रतीक स्थापित होने जा रहा है।
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