रूस की चेतावनी को दरकिनार कर स्वीडन और फिनलैंड ने नाटो से जुड़ने का फैसला किया है। ये दोनों देश अगले माह नाटो की सदस्यता के लिए अपना आवेदन करेंगे।
रूस- यूक्रेन युद्ध बड़ा मुद्दा
उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) की सदस्यता भी रूस और यूक्रेन युद्ध के बीच बड़ा मुद्दा है। 1949 में स्थापित नाटो के सदस्य देशों की संख्या इस समय 30 है। अब स्वीडन और फिनलैंड ने भी नाटो की सदस्यता लेने का फैसला लिया है। ये दोनों देश मई के मध्य तक नाटो सचिवालय में अपनी सदस्यता के लिए आवेदन जमा कर देंगे। यदि इनके आवेदन को स्वीकृति मिल जाती है तो ये दोनों देश जल्द ही नाटो के सदस्य बन जाएंगे। इसके साथ नाटो के सदस्य देशों की संख्या 32 हो जाएगी।
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नाटो से न जुड़ने की चेतावनी
रूस लगातार इन दोनों देशों को नाटो से न जुड़ने की चेतावनी देता रहा है। रूस को लगता है कि यदि ये देश नाटो से जुड़ते हैं तो ये रूस के लिए चुनौती बन सकते हैं। दरअसल, फिनलैंड रूस के साथ 1300 किलोमीटर की सीमा साझा करता है। रूस कई बार स्वीडन और फिनलैंड को नाटो में शामिल होने के नतीजों के बारे में चेतावनी दे चुका है। रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन ने कहा था कि फिनलैंड या स्वीडन नाटो में शामिल होने का फैसला करते हैं तो रूस बाल्टिक देशों और स्कैंडिनेविया के पास परमाणु हथियार तैनात करेगा। इसके बाद भी फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मारिन और स्वीडन की प्रधानमंत्री मैग्डेलेना एंडरसन ने नाटो की सदस्यता लेने पर सहमति जता दी है।