तमिलनाडु के मंत्री बालाजी को सर्वोच्च राहत नहीं, इस टिप्पणी के साथ मामले में दखल देने से इनकार

मनी लांड्रिंग मामले में गिरफ्तार तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी के केस में सर्वोच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है।

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सर्वोच्च न्यायालय ने मनी लांड्रिंग मामले में गिरफ्तार तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी को निजी अस्पताल में दाखिल करने और पूछताछ सीमित रखने के मद्रास हाई कोर्ट के आदेश पर फिलहाल कोई भी दखल देने से इनकार कर दिया है। मामले की अगली सुनवाई 4 जुलाई को होगी।

सर्वोच्च न्यायालय ने की यह टिप्पणी
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मद्रास उच्च न्यायालय में 22 जून को सुनवाई होने वाली है, जहां यह तय करना है कि इस मामले मे बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की जा सकती है या नहीं। उच्च न्यायालय को यह भी देखना है कि अस्पताल में इलाज के दौरान की अवधि को हिरासत से अलग माना जाय या नहीं। ऐसे में फिलहाल सर्वोच्च न्यायालय का इस मामले में दखल देना उचित नहीं है।

निजी अस्पताल कावेरी में भर्ती करवाने का आदेश गलत
19 जून को ईडी की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली अवकाशकालीन बेंच के समक्ष इस मामले को मेंशन करते हुए उच्च न्यायालय के आदेश को गलत बताया था। उन्होंने कहा था कि बालाजी के परिवार ने हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है। ये याचिका सुनवाई योग्य नहीं हो सकती है। इसके अलावा हाई कोर्ट ने बालाजी को निजी अस्पताल कावेरी में भर्ती करवाने का आदेश देकर दूसरी गलती की है। इस आदेश पर रोक लगाने की जरूरत है।

ईडी ने की पूछताछ
गौरतलब है कि 15 जून को मद्रास हाई कोर्ट ने बालाजी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। उसके बाद बालाजी के परिवार ने हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की, जिस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने ये आदेश दिया था। बालाजी को ईडी ने 13 जून को करीब 18 घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था।

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