तमिलनाडु के कावेरी नदी के दक्षिणी तट पर स्थित त्रिची के पास थिरुचेंथुरई गांव को टीएन वक्फ बोर्ड द्वारा वक्फ संपत्ति के रूप में नामित किया गया है। मामला तब सामने आया, जब राजगोपाल नाम के एक व्यक्ति ने अपनी 1 एकड़ 2 सेंट जमीन राजराजेश्वरी नामक महिला को बेचने का प्रयास किया।
जब पास के गांव मुल्लिकारुपुर गांव के निवासी राजगोपाल अपनी जमीन की बिक्री का पंजीकरण कराने के लिए रजिस्ट्रार के कार्यालय पहुंचे, तो उन्हें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि जमीन उनकी नहीं थी, बल्कि वक्फ बोर्ड की थी।
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जमीन के लिए करार दर्ज
वक्फ बोर्ड ने विलेख विभाग को पत्र और दस्तावेज द्वारा सूचित किया है कि पूरा गांव उनका है। यह भी कहा गया है कि जो लोग गांव में जमीन के लिए करार दर्ज कराने आते हैं, उन्हें उनसे एनओसी लेनी होगी।
गांव के स्वामित्व का दावा
राजगोपाल ने जब गांव वालों को घटना की जानकारी दी तो पूरा गांव यह जानकर हैरान हो गया कि उनकी जमीन उनकी नहीं है। उन्होंने सोचा कि वक्फ पूरे गांव के स्वामित्व का दावा कैसे कर सकता है, जब उनके पास अपनी संबंधित जमीन, आवासीय और कृषि दोनों के लिए सभी आवश्यक दस्तावेज हैं।
कितनी एकड़ की संपत्ति?
गांव में मानेदियावल्ली समीथा चंद्रशेखर स्वामी मंदिर है। दस्तावेजों और सबूतों के मुताबिक यह 1,500 साल पुराना है। मंदिर के पास तिरुचेंथुरई गांव और उसके आसपास 369 एकड़ की संपत्ति है। क्या यह मंदिर संपत्ति भी वक्फ बोर्ड के स्वामित्व में है? वक्फ बोर्ड बिना किसी बुनियादी सबूत के कैसे घोषणा कर सकता है कि यह जमीन उनकी है। जबकि, गांव के लोगों के पास जमीन के आवश्यक दस्तावेज हैं।