महाराष्ट्र प्रशासन (Maharashtra Administration) ने प्रशासनिक खर्चों (Administrative Expenses) के लिए वक्फ बोर्ड (Wakf Board) को 10 करोड़ रुपये मंजूर करने का फैसला किया है। भाजपा (BJP) के विरोध (Protest) के बाद महज 24 घंटे में ही इस फैसले को रद्द कर दिया गया है। चूंकि कार्यवाहक सरकार (Caretaker Government) यह फैसला नहीं ले सकती, इसलिए प्रशासन इस फैसले को वापस लेने में आनाकानी कर रहा है।
मुख्य सचिव ने फैसला वापस ले लिया
राज्य प्रशासन ने विधानसभा चुनाव से पहले वक्फ बोर्ड को बुनियादी ढांचे और मजबूती के लिए 10 करोड़ रुपये आवंटित करने का फैसला किया था। अधिकारियों ने इस संबंध में गुरुवार 28 नवंबर को जीआर जारी किया। इस पर भाजपा ने कड़ी आपत्ति जताई। मुख्य सचिव सुजाता सौनिक ने कहा कि राजनीतिक हलके में इधर-उधर की चर्चा शुरू होने के बाद सरकार ने यह फैसला वापस ले लिया है।
राज्यात काळजीवाहू सरकार असताना वक्फ बोर्डाला निधी देण्यासंदर्भात प्रशासनाने GR काढण्याचा प्रकार योग्य नसल्याने मुख्य सचिवांनी तत्काळ तो आदेश मागे घेतला आहे. राज्यात नवीन सरकार येताच याचे औचित्य आणि नियमाधीनता याची चौकशी केली जाईल.
राज्य में जब कार्यवाहक सरकार हो, तब वक्फ बोर्ड…
— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) November 29, 2024
यह भी पढ़ें – Kolkata: 2800 करोड़ रुपये के चिटफंड घोटाले में पिता-पुत्र गिरफ्तार, ईडी ने की कार्रवाई
जब राज्य में कार्यवाहक सरकार होती है, तो अधिकारी इस तरह का पारस्परिक आदेश जारी नहीं कर सकते। साथ ही कोई रणनीतिक निर्णय भी नहीं लिया जा सकता। इसके बावजूद सरकार की ओर से वक्फ बोर्ड को 10 करोड़ का फंड देने का आदेश जारी किया गया। यह एक प्रशासनिक त्रुटि थी। इसलिए राज्य के मुख्य सचिव ने संबंधित अधिकारियों को इस गलती को तुरंत सुधारने का निर्देश दिया।
हालांकि, चुनाव नतीजों के बाद महायुति सरकार ने वक्फ बोर्ड के कामकाज और बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए फंड को मंजूरी दे दी है। महाराष्ट्र सरकार ने वित्त वर्ष 24-25 में अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए वक्फ बोर्ड को 10 करोड़ रुपये आवंटित करने का फैसला किया था।
देखें यह वीडियो –
Join Our WhatsApp Community