– नरेश वत्स
आगरा (Agra) की देश ही नहीं, दुनिया में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान है। यह किसी मुगलों (Mughals) से जुड़ी नहीं है। आगरा का संबंध ब्रजभूमि से है, वृंदावन बिहारी लाल और राधा रानी से है और आगरा की पहचान अगर किसी और से है तो वह छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj) से। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) इस पहचान को पुनर्स्थापित करने में जुटे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगरा में छत्रपति शिवाजी महाराज का भव्य स्मारक (Grand Monument) बनाने का निर्णय लिया है।
शिवाजी महाराज की वीरता का हिस्सा
शिवाजी का आगरा से एक बुद्धिमत्ता और साहस का रिश्ता है। यह इतिहास के पन्नों में दर्ज है कि मुगल शासक औरंगजेब के कब्जे से छत्रपति शिवाजी महाराज अपनी बुद्धिमत्ता से मिठाई की टोकरी में बैठकर बच निकले थे। शिवाजी महाराज ने अपनी चतुराई से सफलता के साथ मिठाई की टोकरी में छिपकर पहले आगरा स्थित जयपुर भवन से निकले और फिर आगरा से भी निकल गए। आगरा से भागने के बाद शिवाजी महाराज की यह कहानी मराठा इतिहास में बहुत प्रसिद्ध हुई। इस तरह आगरा उनकी वीरता की कथा का हिस्सा बन गया।
यह भी पढ़ें – Mann ki Baat: पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ के जरिए देशवासियों को किया संबोधित, जानें किस मुद्दे पर दिया जोर
दक्कन और पश्चिमी भारत अभियान का केंद्र
हालांकि छत्रपति शिवाजी महाराज के अभियानों का मुख्य केंद्र दक्कन और पश्चिमी भारत महाराष्ट्र, कर्नाटक रहा। 1666 में शिवाजी महाराज को मुगल सम्राट औरंगजेब ने आगरा में अपने दरबार में बुलाया था। मौका औरंगजेब के 50 वें जन्मदिन का था। उस मौके पर आगरा के दरबार में एक समारोह का आयोजन किया गया था। हालांकि औरंगजेब ने समारोह के जरिए शिवाजी को एक साजिश के तहत ही बुलाया था। इस साजिश के तहत शिवाजी को आगरा में तीन महीने के लिए औरंगजेब ने नजरबंद करके रखा था।
शहर की ऐतिहासिक इमारतें
आगरा में मुख्य रूप से ताजमहल ,आगरा किला और फतेहपुर सीकरी जैसे यूनेस्को स्थल ही प्रसिद्ध है। लेकिन अब आगरा को शिवाजी महाराज के नाम से जाना जाएगा। उत्तर प्रदेश सरकार और पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार इस दिशा में तेजी से काम कर रहा है।
भव्य काशी में श्री काशी विश्वनाथ धाम
श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बनने के बाद काशी अपने भव्य रूप में है। सन 1780 में अहिल्याबाई होल्कर ने काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनरुद्धार कराया था। उसके लगभग तीन शताब्दी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर के विस्तारीकरण और पुनरुद्धार के लिए 8 मार्च 2019 को विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर का शिलान्यास किया। इस ड्रीम प्रोजेक्ट का काम पूरा हो चुका है। 50,000 वर्ग मीटर में यह कॉरिडोर बना है। इसका मुख्य दरवाजा गंगा की तरफ ललिता घाट से होकर है।
विश्वनाथ कॉरिडोर की विशेषताएं
विश्वनाथ कॉरिडोर को तीन भागों में बांटा गया है। पहले मंदिर का मुख्य भाग है, जो लाल बलवा पत्थर से बनाया गया है। इसमें चार बड़े-बड़े गेट लगाए गए हैं। इसके चारों तरफ एक प्रदक्षिणा पथ बनाया गया है। उसे प्रदक्षिणा पद पर संगमरमर के 22 शिलालेख लगाए गए हैं, जिसमें काशी की महिमा का वर्णन है। कॉरिडोर में 24 भवन भी बनाए गए हैं। इन भवनों में मुख्य मंदिर परिसर, मंदिर चौक, मुमुक्षु भवन, शॉपिंग कंपलेक्स, सिटी म्यूजियम, वाराणसी गैलरी, तीर्थ यात्री सुविधा केंद्र, जलपान केंद्र, गंगा व्यू कैफे आदि है।
अयोध्या में तेजी से बढ़ी पर्यटकों की संख्या
श्री राम जन्मभूमि में श्री रामलला के विराजमान होने के बाद अयोध्या में पर्यटकों की संख्या में तेज गति से वृद्धि दर्ज की गई है। रामलाल के दर्शन के लिए देश के हर राज्य से रोजाना श्रद्धालु अयोध्या पहुंच रहे हैं। मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद अयोध्या धार्मिक पर्यटन का नया केंद्र बन गया है। रिसर्च फॉर्म जापानी ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि आने वाले समय में अयोध्या दर्शनार्थियों और पर्यटकों की संख्या के मामले में मक्का और वेटिकन सिटी से भी आगे निकल जाएगा।
तीर्थ नगरी प्रयागराज
प्रयागराज में भव्य महाकुंभ का सफल आयोजन किया गया। देश -विदेश से 66 करोड़ श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी में डुबकी लगाई। इस आयोजन की सफलता ने देश के आध्यात्मिक पर्यटन को नई पहचान दी।
देखें यह वीडियो –
Join Our WhatsApp Community