टूलकिट मामले में गिरफ्तार पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि की जमानत याचिका पर 20 फऱवरी को पाटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई हुई। अतिरिक्त न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा की अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद इस पर फैसला 22 फरवरी तक सुरक्षित रख लिया।
मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने दिशा की जमानत याचिका का विरोध करते हुए दलील दी कि यह सिर्फ टूलकिट नहीं था। इसका असली इरादा भारत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करने के साथ ही देश में अशांति फैलाना था। दिशा को यह पता था, इसलिए उसने वॉट्सएप चैट को डिलिट कर दिया था। उसने ऐसा कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए किया। टूलकिट के पीछे असली मंसूबा बेहद नापाक था।
देश को बदनाम करने की साजिश में शामिल थी दिशा
दिल्ली पुलिस ने कहा कि दिशा रवि भारत को बदनाम करने की साजिश में शामिल थी और उसने किसान आंदोलन की आड़ में अशांति पैदा करने की अंतर्राष्ट्रीय साजिश रची थी। उसने कहा कि एक प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस ने 11 जनवरी को इंडिया गेट और लाल किले पर खालिस्तानी झंडा फहरानेवाले को इनाम देने का ऐलान किया था।
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14 फरवरी को हुई गिरफ्तारी
इससे पहले क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग टूलकिट मामले में अरेस्ट 21 वर्षीय दिशा रवि को 5 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया था। उसे 14 फरवरी को दिल्ली की एक अदालत में पेश किया गया। स्पेशल सेल के साइबर सेल की टीम ने उसकी 7 दिनों की पुलिस रिमांड मांगी थी, लेकिन पटियाला हाउस कोर्ट ने पूछताछ के लिए पांच दिन की रिमांड दी थी।
रवि दिशा पर ये आरोप
फिलहाल पुलिस ने अब तक की जानकारी के आधार पर दिशा रवि पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पुलिस का कहना है कि दिशा खालिस्तीन आंदोलन को दोबारा खड़ा करने की साजिश रच रही थी। इसके साथ ही वह भारत सरकार के खिलाफ बड़ी साजिश का हिस्सा थी। इसने टूलकिट को एडिट किया, जिसमें हजारों लोग शामिल हैं। यह खालिस्तानी आतंकी गुरुपतवंत सिंह पन्नू से प्रभावित है। इसने 3 फरवरी को टूलकिट एडिट किया था।