Torres scam: सरकारी एजेंसियों से सवाल, निवेशक करें बवाल

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संतोष वाघ

Torres scam:  मुंबई में टोरेस ने सरकारी एजेंसियों की नाक के नीचे करीब 1,000 करोड़ रुपये का घोटाला किया। सरकारी एजेंसियों को जब होश आया तो उन्होंने टोरेस की कंपनी को सिर्फ समन भेजा और कोई कार्रवाई नहीं की। जनता यह मानने लगी है कि इस घोटाले के लिए सरकारी एजेंसियां ​​भी जिम्मेदार हैं, क्योंकि सरकारी एजेंसियों ने तब तक कोई कार्रवाई नहीं की, जब तक एक विदेशी कंपनी ने महज 11 महीने में मुंबई जैसे शहर में हजारों करोड़ रुपये की लूट नहीं कर ली।

शिवाजी पार्क पुलिस स्टेशन, वित्तीय खुफिया इकाई नवी मुंबई और आयकर विभाग ने टोरेस कंपनी को जून, अक्टूबर और नवंबर 2024 में समन भेजकर जांच के लिए बुलाया था। चूंकि इस जांच में आगे क्या हुआ, इसका कोई जवाब सरकारी एजेंसियों के पास नहीं है, इसलिए यह घोटाला जांच के दायरे में आ रहा है। क्या इन सरकारी एजेंसियों ने जान-बूझकर  आंखे बंद कर ली? यह सवाल उन निवेशकों द्वारा भी पूछा जा रहा है, जो इस घोटाले का शिकार हुए हैं।

फरवरी 2023 में मुंबई में रखा कदम
टोरेस एक विदेशी कंपनी है और इस कंपनी ने फरवरी 2023 में मुंबई में कदम रखा। उन्होंने टोरेस प्लेटिनम हॉर्न प्राइवेट लिमिटेड के नाम से मुंबई के दादर, नवी मुंबई सानपाड़ा, मीरा रोड, कल्याण कांदिवली और गिरगांव में शोरूम खोले। आभूषण और ‘मोजोइट’ हीरे की आड़ में इस कंपनी ने निवेशकों को 52 सप्ताह तक हर सप्ताह 7 प्रतिशत रिटर्न देने के साथ ही मोटर कार, मकान और मोबाइल फोन जैसे इनाम देने का वादा किया तथा करीब 1 लाख 25 हजार निवेशकों से 1,000 करोड़ रुपये ठग लिये।

पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज
कार्रवाई के नाम पर शिवाजी पार्क पुलिस ने 6 जनवरी 2025 को टोरेस कंपनी, उसके निदेशक और पांच अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया और निदेशक सर्वेश सुर्वे और स्टोर मैनेजर समेत तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया, जो शिवाजी पार्क में धोखाधड़ी करने आए थे। सुबह-सुबह ही उपहार लपेटने के लिए स्टोर पर पहुंच जाते थे। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस कंपनी के मुख्य संस्थापक विदेशी हैं और वे दोनों यूक्रेन भाग गए हैं। पुलिस ने दोनों के खिलाफ लुकआउट नोटिस (एलओसी) जारी किया है। यह मामला मुंबई आर्थिक अपराध शाखा को स्थानांतरित कर दिया गया है।

निवेशकों का दावा
हजारों करोड़ के टोरेस घोटाले में शिवाजी पार्क पुलिस द्वारा दर्ज मामले के संदिग्ध रियाज और अभिषेक गुप्ता ने अपने वकीलों के जरिए दावा किया है कि उन्होंने पुलिस को कंपनी के घोटाले की जानकारी पहले ही दे दी थी। पुलिस की सूची में शामिल टोरेस कंपनी ने अपने वकील के माध्यम से दावा किया है। बताया गया है कि कंपनी पर ज्वेलरी चेन के माध्यम से धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए मुंबई पुलिस और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) सहित कई अधिकारियों के पास शिकायत दर्ज कराई थी। गुप्ता ने आरोप लगाया है कि शिकायतों के बावजूद कानून को लागू करने के लिए समय पर कदम नहीं उठाए गए।

भागने में सफल हो गए मुख्य आरोपी
पुलिस के अनुसार, गुप्ता ने पहली बार 30 दिसंबर को अपनी शिकायतें दर्ज कराईं और कथित धोखाधड़ी का विवरण देने के लिए कई अधिकारियों से मिलने का प्रयास किया। अपनी तमाम कोशिशों के बावजूद मुख्य आरोपी नवी मुंबई पुलिस द्वारा सानपाड़ा में कंपनी के शोरूम पर योजनाबद्ध तरीके से छापेमारी करने से पहले ही भागने में सफल हो गया। गुप्ता ने दावा किया है कि उसके बाद से ही उसे धमकी भरे फोन आ रहे हैं और बुधवार को उसने शिवाजी पार्क पुलिस से सुरक्षा की गुहार लगाई है। स्टेशन। कथित 1,000 करोड़ रुपये के टोरेस घोटाले में वांछित आरोपी और कंपनी के पूर्व सीईओ तौसिफ रियाज ने मुखबिर होने का दावा किया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने 4 जनवरी को संबंधित एजेंसियों को सचेत कर दिया था तथा विस्तृत दस्तावेज और साक्ष्य प्रस्तुत किए थे, जिनसे चल रही धोखाधड़ी का पता चला।

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पुलिस पर शक
इस बीच शिवाजी पार्क पुलिस ने कंपनी के मैनेजर टोरेस को 29 जून 2024 को पूछताछ के लिए बुलाया था। उसके बाद नवी मुंबई फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट ने सानपाड़ा स्थित टोरेस ज्वेलरी शॉप को 24 अक्टूबर 2024 को पूछताछ के लिए बुलाया था। दस्तावेजों के साथ पूछताछ की गई। आयकर विभाग ने प्लेटिनम हर्न प्राइवेट लिमिटेड, ओपेरा हाउस, गिरगांव को 14 नवंबर, 2024 को सम्मन भेजा था। क्या टोरेस के प्रबंधकों और अधिकारियों को बुलाए जाने के बाद सरकारी एजेंसियों द्वारा पूछताछ का सामना करना पड़ा? अगर ऐसा हुआ है तो जांच के दौरान सिस्टम को कैसे पता नहीं चला कि लोगों के साथ धोखाधड़ी हो रही है? इस संबंध में सरकारी सिस्टम ने क्या कार्रवाई की, इसका कोई जवाब नहीं दिया गया है। पुलिस और आयकर विभाग को कुछ महीने पहले ही यह मामला पता चला था, लेकिन उन्होंने क्या कार्रवाई की, यह पता नहीं चल पाया है। निवेशकों का आरोप है कि अगर सरकारी एजेंसियों ने समय रहते कार्रवाई की होती तो आज हजारों निवेशकों के करोड़ों रुपए बच जाते।

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