Bangladeshi Nationals: मुंबई एयरपोर्ट पर फर्जी पासपोर्ट के साथ दो बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार, जांच में जुटी पुलिस

विमानतल पर तैनात आव्रजन अधिकारियों को कुछ गड़बड़ी का संदेह हुआ और उन्होंने यात्री से पूछताछ की, जिससे पता चला कि वह एक बांग्लादेशी नागरिक था और उसका असली नाम निखिल बरुआ का बेटा टीटू बरुआ था।

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मुंबई एयरपोर्ट (Mumbai Airport) पर फर्जी पासपोर्ट (Fake Passport) के आधार पर सहार पुलिस स्टेशन (Sahar Police Station) की टीम ने अंतरराष्ट्रीय यात्रा (International Travel) करने वाले दो बांग्लादेशी नागरिकों (Bangladeshi Nationals) को गिरफ्तार (Arrested) किया है। यह दोनों फर्जी पासपोर्ट के आधार पर यूक्रेन और मॉरीशस की यात्रा करना चाहते थे। इन दोनों की गहन छानबीन जारी है।

पुलिस के अनुसार, पहला मामला आव्रजन विभाग के एक अधिकारी द्वारा दर्ज किया गया था, जिसने भारतीय पासपोर्ट धारक एक यात्री को यूरोप के मोल्दोवा की यात्रा करते हुए पाया था। अधिकारी ने उसके पासपोर्ट की जांच के दौरान पाया कि उसके पास यूक्रेन का वीजा भी है और उसने दावा किया कि वह बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए मोल्दोवा के रास्ते यूक्रेन जा रहा था।

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मोबाइल पर बांग्लादेशी पहचान प्रमाण
विमानतल पर तैनात आव्रजन अधिकारियों को कुछ गड़बड़ी का संदेह हुआ और उन्होंने यात्री से पूछताछ की, जिससे पता चला कि वह एक बांग्लादेशी नागरिक था और उसका असली नाम निखिल बरुआ का बेटा टीटू बरुआ था। उनका जन्म 1990 में बांग्लादेश के चट्टोग्राम के बीनाजुरी में हुआ था। वह 2016 में ग्वालियर आया और एक एजेंट की मदद से आधार कार्ड और पैन कार्ड प्राप्त किया। इन दस्तावेजों के आधार पर, उन्होंने 2022 में एक भारतीय पासपोर्ट भी प्राप्त किया। एक पुलिस अधिकारी ने कहा, आव्रजन अधिकारियों को उनके मोबाइल पर एक बांग्लादेशी पहचान प्रमाण भी मिला, और उन्हें आगे की कानूनी प्रक्रिया के लिए गुरुवार को सहार पुलिस को सौंप दिया गया।

सहार थाना पुलिस टीम द्वारा गहन जांच
सहार पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया दूसरा बांग्लादेशी नागरिक 43 वर्षीय तुहिन कुमार नारायणचंद्र दास था। दास ने 1994 में अवैध रूप से भारत में प्रवेश किया था और जाली सहायक दस्तावेज जमा करके 2005 में भारतीय पासपोर्ट प्राप्त करने में कामयाब रहे। जबकि पासपोर्ट 2016 में नवीनीकृत किया गया था, दास ने हाल ही में मॉरीशस की यात्रा की लेकिन उन्हें प्रवेश से मना कर दिया गया और भारत भेज दिया गया।जब सीएसएमआईए के आव्रजन अधिकारियों ने उनकी वापसी पर उनकी जांच की, तो उन्हें उनके मोबाइल फोन पर बांग्लादेशी पहचान दस्तावेज मिले, जिससे पता चला कि उनका जन्म 1981 में बांग्लादेश के नरैल जिले में हुआ था। उन्हें बांग्लादेश निर्वासित किया जाना था। उन्हें सहार पुलिस स्टेशन की टीम को सौंप दिया गया। बांग्लादेशी उच्चायोग के इन दोनों की भारतीय नागरिकता स्वीकार नहीं की है। इसलिए सहार पुलिस स्टेशन की टीम ने दोनों आरोपियों के संबंध में भारतीय न्याय संहिता, पासपोर्ट अधिनियम और विदेशी अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत दो अलग-अलग मामले दर्ज किए हैं। इन मामलों की गहन छानबीन सहार पुलिस स्टेशन की टीम कर रही है।

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