संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने म्यांमार की सेना से मनमाने तरीके से हिरासत में रखे गए नागरिकों को तुरंत जेल से रिहा करने को कहा है। सुरक्षा परिषद में इस आशय का प्रस्ताव पारित हुआ है, जिसमें म्यांमार की प्रमुख नेता आंग सान सू की और पूर्व राष्ट्रपति विन माइंट को छोड़ने की बात भी कही गयी है।
भारत कर रहा है अध्यक्षता
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता इस महीने भारत के पास है। भारत के अध्यक्षीय कार्यकाल में ब्रिटेन ने म्यांमार को लेकर यह प्रस्ताव पेश किया। म्यांमार में जारी मानवाधिकार संकट को लेकर आए इस पहले प्रस्ताव में मांग की गई कि म्यांमार की सेना मनमाने तरीके से हिरासत में रखे गए नागरिकों को तुरंत छोड़े। प्रस्ताव में म्यांमार की प्रमुख नेता आंग सान सू की और पूर्व राष्ट्रपति विन माइंट को भी मुक्त करने की बात कही गयी है। इस प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मतदान कराया गया, जिसमें 12 सदस्यों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। इन सदस्यों ने म्यांमार से तुरंत हिंसा रोकने और हिरासत में रखे गए लोगों को छोड़ने की मांग की। वहीं तीन सदस्य रूस, चीन और भारत इस प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहे।
म्यांमार में हिंसा रोकने की दिश में बढ़ा कदम
संयुक्त राष्ट्र संघ में अमेरिका की राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने कहा कि यह प्रस्ताव म्यांमार में रक्तपात रोकने की दिशा में बढ़ाया गया जरूरी कदम है। हालांकि, इसे लेकर अभी काफी कुछ किया जाना बाकी है। उधर, चीन के राजदूत झांग जुन ने कहा कि म्यांमार के मुद्दे पर कोई भी हल तात्कालिक नहीं है।
2021 में हुआ था तख्तापलट
म्यांमार में पिछले वर्ष फरवरी में सेना ने निर्वाचित प्रतिनिधियों का तख्तापलट कर सत्ता खुद संभाल ली थी। फिलहाल सैनिक शासक जनरल मिन आंग हलायंग म्यांमार के राष्ट्राध्यक्ष हैं। तख्तापलट के बाद अमेरिका और पश्चिमी देशों ने म्यांमार पर कई प्रतिबंध लगाए थे।
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पहले भी सेना कर चुकी है तख्तापलट
इसके पहले भी 1990 के दशक में जब सेना ने निर्वाचित प्रतिनिधियों को जेल में डाल कर सत्ता पर कब्जा जमाया था, तब 20 वर्षों तक अमेरिका ने म्यांमार के लिए राजदूत की नियुक्ति नहीं की थी। 2010 में जब म्यांमार में लोकतांत्रिक प्रक्रिया बहाल की गई, तब अमेरिका ने वहां अपना राजदूत भेजा था।