Indian Penal Code: भारतीय दंड संहिता की धारा 452 (Section 452) का प्रावधान अपने परिसर के भीतर व्यक्तियों की सुरक्षा और गोपनीयता (security and privacy) सुनिश्चित करने के लिए ही किया गया है। धारा 452 व्यक्तिगत सुरक्षा (personal security) के सर्वोपरि महत्व को दर्शाता है। साथ यह धारा अपने अंतरंग स्थान में अपनी सुरक्षा के भाव को बढ़ाता है ।
जेल के साथ अर्थ-दंड का भी प्रावधान
जब कोई भी व्यक्ति बिना अनुमति के किसी के घर में घुसने या फिर उस पर हमला करके उस पर चोट पहुंचाने, या फिर किसी व्यक्ति पर दबाव बनाने का प्रयास करता है, तो उस व्यक्ति के लिए कारावास की सजा (Punishment) का प्रावधान रखा गया है | जेल ((jail)) की अवधि को सात वर्षों तक बढ़ाया भी जा सकता है, इसके अलावा अपराधी पर अर्थ-दंड (fine) भी लगाया जा सकता है। अपराधी को यह सजा भारतीय दंड संहिता की धारा 452 के प्रावधान के तहत दी जाती है।
गैर-जमानती अपराध की संगीन श्रेणी
भारतीय दंड संहिता की धारा 452 एक गैर-जमानती, संगीन अपराध की श्रेणी में आता है । यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं माना जाता। क्योंकि समझौते के बावजूद भी इसमें झगड़े की संभावना बनी रहती है। सबसे बड़ी बात की धारा 452 में कभी-कभी निर्दोष आरोपी भी सबूत के अभाव में सजा के भागी बन जाते हैं। |
सुरक्षा और गोपनीयता को महत्व देती धारा
धारा 452 का लक्ष्य द्वेषपूर्ण इरादों के साकार होने से पहले ही इसे रोक देना है। जिससे किसी को शारीरिक या मानसिक कष्ट ना उठाना पड़े। यह धारा सुरक्षा और गोपनीयता के मौलिक अधिकार को महत्व देती है। 452 धारा अपने घर को सभी प्रकार के मानवीय खतरों से सुरक्षित रखने के भाव को संबल प्रदान करता है।