वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मेड इंडिया टैबलेट में भरे देश के आर्थिक बजट को पेश कर रही हैं। महामारी से उबरने के लिए जितनी आवश्यकता कोरोना वैक्सीन की है उससे कम आवश्यकता आर्थिक वैक्सीन की भी नहीं है।
तीस लाख करोड़ के आकारवाले देश के बजट में आम आदमी को आयकर, स्वास्थ्य, शिक्षा, मूलभूत सुविधाओं को लेकर बड़ी आशाएं रहती हैं। महामारी ने देश के आर्थिक तानेबाने को भी प्रभावित किया है। इसके लिए उदाहरण से समझते हैं कि यदि सरकार के पास एक रुपए आते हैं तो उसका श्रोत क्या होता है?
- आयकर 17 पैसे
- जीएसटी 18 पैसे
- निगम कर 18 पैसे
- उधार व अन्य देय 20 पैसे
- राजस्व से कर 10 पैसे
- सीमा शुल्क 4 पैसे
- केंद्रीय उत्पाद शुल्क 7 पैसे
- ऋण व अन्य आय 6 पैसे
महामारी काल में केंद्र सरकार की भी आर्थिक आय की गतिविधियां प्रभावित हुई हैं। इसके अलावा 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक राहत कोष की घोषणा वो पहले ही कर चुकी है। इस स्थिति में यह भी जानना अवश्यक है कि एक रुपए की आमदनी में से सरकार अपनी आमदनी का व्यय कहां-कहां करती है?
- केंद्र क्षेत्र की योजना 13 पैसे
- केंद्रीय योजनाओं 9 पैसे
- ब्याज भुगतान 18 पैसे
- वित्त व अन्य अंतरण 10 पैसे
- कर व शुल्क में राज्य का हिस्सा 20 पैसे
- सहायता राशि 6 पैसे
- रक्षा क्षेत्र पर व्यय 8 पैसे
- पेंशन भुगतान 6 पैसे
- अतिरिक्त व्यय 10 पैसे
ऐसी परिस्थिति में वित्त मंत्री के प्रयत्न और प्रधानमंत्री की महत्वकांक्षी योजनाएं से एक अच्छे बजट की आशा व्यक्त की जा रही है।
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